Kundli Tv- नहीं सुनी होगी हनुमान जी से जुड़ी से ये अनोखी कथा

Edited By Jyoti,Updated: 16 Jul, 2018 03:52 PM

religious story

केशवदत्त नाम का ब्राह्मण अपनी पत्नी अंजलि के साथ ऋषिनगर में रहता था। उनके घर धन की किसी तरह की कमी नहीं थी। गांव में सब इनका सम्मान करते थे। उनको केवल एक ही दुख था कि उनके घर कोई संतान नहीं थी। इसलिए वह इसी चिंता में रहता था।

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केशवदत्त नाम का ब्राह्मण अपनी पत्नी अंजलि के साथ ऋषिनगर में रहता था। उनके घर धन की किसी तरह की कमी नहीं थी। गांव में सब इनका सम्मान करते थे। उनको केवल एक ही दुख था कि उनके घर कोई संतान नहीं थी। इसलिए वह इसी चिंता में रहता था। 

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दोनों पति-पत्नी का नियम था कि वह हर मंगलवार को हनुमान मंदिर जाकर उनकी पूजा किया करते और इस दिन व्रत भी किया करते थे। उनका नियम था हनुमंत को भोग लगाने बाद ही वह खाना खाते। एक दिन केशवदत्त हनुमान जी की पूजा के लिए जंगल की तरफ चला गया और अंजलि अकेले घर पर ही भगवान का व्रत और पूजन करने लगी। उस दिन किसी कारण से वह बंजरगबली को भोग लगाना भूल गई और खुद भी भूखे ही सो गई। अगली सुबह जैसे ही उसे इस बात का एहसास हुआ उसे इसका बहुत पश्चावा हुआ और अगले मंगलवार तक भोजन न करने का प्रण कर लिया। छः दिन तक अंजलि भूखी-प्यासी रही। सातवें दिन मंगलवार को अंजलि ने हनुमानजी की पूजा करते समय वह बेहोश हो गई। 

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एक रात हनुमान जी ने उसे स्वप्न में दर्शन देते हुए कहा- उठो पुत्री! मैं तुम्हारी पूजा-पाठ से बहुत प्रसन्न हूं। तुम्हें सुंदर और सुयोग्य पुत्र होने का वरदान देता हूं। यह कहकर भगवान अंतर्धान हो गए। तभी अंजलि ने उठकर उनको भोग लगाया और खुद भी खाया। 

भगवान के वरदान से अंजलि ने गर्भ धारण किया और कुछ महीनों बाद मंगलवार के दिन सुंदर शिशु को जन्म दिया। मंगलवार जन्म लेने से बच्चे का नाम मंगलप्रसाद रखा गया। कुछ माह के बाद केशवदत्त उस बालक को देख कर अंजलि से पूछा यह कौन है और किसका है। अंजलि ने सब वृतांत अपने पति को सुनाया। लेकिन केशवदत्त को उसकी बातों पर विश्वास नहीं आया। उसके मन में अपनी पत्नी के लिए गलत धारणाएं बनने लगीं। केशवदत्त ने उस बालक को मारने की ठान ली। 

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एक शाम केशवदत्त कुएं पर स्नान के लिए पहुंचा और साथ में मंगल भी था। मौका पाकर केशव ने मंगलप्रसाद को कुएं में गिराकर खुद घर वापिस लौट आया। अंजलि ने मंगल का पूछा तो केशवदत्त ने झूठ बोलकर कहा कि वो मेरे साथ नहीं गया। इतने में बाहर से मंगल भाग कर इपनी मां के पास आ गया। केशवदत्त वच्चे को देखकर हैरान हो गया। उसी रात हनुमान जी ने केशव को दर्शन दे कर कहा कि मेरे वरदान से ही तुम्हारी पत्नी को पुत्र की प्राप्ति हुई है। तभी केशवदत्त ने अपनी पत्नी से क्षमा मांगी और पुत्र को बहुत प्यार किया। उसी समय से वह लोग हंसी-खुशी अपने परिवार में रहने लगे।  

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