Kundli Tv- भगवान का है आप पर हाथ तो काल भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 Dec, 2018 02:14 PM

religious story in hindi

विष्णु पुराण में बताई गई एक कथा के अनुसार महर्षि कश्यप और उनकी पत्नी दिति के दो पुत्र हुए हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष।

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विष्णु पुराण में बताई गई एक कथा के अनुसार महर्षि कश्यप और उनकी पत्नी दिति के दो पुत्र हुए हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष। हिरण्यकशिपु ने कठिन तपस्या से ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और वरदान मांगा कि न वह किसी मनुष्य द्वारा मारा जा सकेगा और न पशु द्वारा, न दिन में मारा जा सकेगा न रात में, न घर के अंदर, न ही घर के बाहर, न किसी अस्त्र के प्रहार से और न किसी शस्त्र के प्रहार से, वर्ष के किसी माह में उसे नहीं मारा जा सके।
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ब्रह्मा जी ने उसे यह वरदान दे दिया। वरदान पाकर हिरण्यकशिपु अहंकारी बन गया। उसने खुद को भगवान घोषित कर दिया। युद्ध कर देवराज इंद्र से स्वर्ग भी छीन लिया लेकिन उसका एक पुत्र था जिसका नाम था प्रह्लाद। वह भगवान विष्णु का भक्त था। उसने अपने पुत्र को कई यातनाएं दीं ताकि वह पिता को भगवान मान कर उनकी पूजा करे लेकिन यह संभव नहीं हो सका। हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को ऊंची चोटी से फिंकवाया। हाथी के पैरों के नीचे कुचलवाया यहां तक कि अपनी बहन होलिका के जरिए उसे अग्रिदाह भी करवाया लेकिन उसे किसी भी तरह से हानि नहीं पहुंचा सका।
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अंत में जब उसके पापों का घड़ा भर गया तो भगवान विष्णु नृसिंह अवतार में वप्रकट हुए। उन्होंने हिरण्यकशिपु से कहा कि तुम्हारे वरदान के अनुसार न मैं मनुष्य हूं और न ही पशु क्योंकि मेरा शरीर मनुष्य का है लेकिन सिर सिंह का। इस समय न दिन है और न रात यानी दिन का आखिरी प्रहर शाम के 6 बजे हुए हैं। न तुम इस समय घर में हो और न ही घर के बाहर यानी घर की दहलीज (देहरी) पर हो और यह अधिक मास है यानी वर्ष का 13वां माह जोकि तुम्हारी मृत्यु की पहेली के लिए बनाया गया है। हिरण्यकशिपु तुम्हें मैं किसी शस्त्र से नहीं बल्कि अपने नाखूनों से मारूंगा। इस तरह अब तुम्हारी मृत्यु निश्चित है। इस तरह भगवान नृसिंह ने हिरण्यकशिपु का वध कर दिया।
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