Kundli Tv- कैसे भगवान विष्णु ने नारद को फंसाया अपनी माया के जाल में ?

Edited By Jyoti,Updated: 17 Dec, 2018 04:57 PM

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नारद मुनि के बारे में सभी लोग जानते ही होगें। शास्त्रों के अनुसार इनका जन्म ब्रह्मा से हुआ था। ये भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त माने जाते हैं।

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नारद मुनि के बारे में सभी लोग जानते ही होगें। शास्त्रों के अनुसार इनका जन्म ब्रह्मा से हुआ था। ये भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त माने जाते हैं। इनकी वीणा से भी नारायण-नारायण की ध्वनि निकलती रहती है। इन्हें त्रिकाल ज्ञानी भी कहा जाता है।
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देवर्षि नारद महान ज्ञानी थे। फिर भी एक दिन उनके दिमाग में एक सवाल आया वो जानना चाहते थे कि माया क्या होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस प्रश्न का जबाव लेने वो विष्णु जी के पास गए और बोले, भगवन मेरी तीव्र जिज्ञासा है कि मैं माया के बारे में जानूं, जिसने इस जगत को भ्रम में डाला है और लोग जब माया में फंसते हैं तो कैसा महसुस करते हैं।

भगवान विष्णु मुस्करा कर बोले समय आने पर एक दिन ज़रूर दिखा देंगे।
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कई दिन बीत गए भगवान विष्णु ने सोचा अब समय आ गया है नारद के सवाल का जबाव देने का। एक दिन अचानक विष्णु जी ने नारद से को बुलाया और दोनों यात्रा पर निकल गए। चलते-चलते रास्ते में एक वृक्ष के नीचे रूककर विष्णु जी को प्यास लगी वो नारद से बोले हे नारद थोड़ा पानी लेकर आइए मुझे प्यास लगी है।

नारद कमंडल लेकर पानी लेने चल दिए। थोड़ी देर चलने के बाद वो थक गए। उन्होने थोड़ी देर विश्राम करने की सोची। वो एक वृक्ष के नीचे विश्राम के लिए लेटे। लेटे-लेटे उनकी आंख लग गई और वो गहरी नींद में चले गए। इतनी गहरी नींद के वो सपना देखने लगे। सपने में उन्होंने देखा कि वह पानी लेने के लिए कंमडल लेकर किसी के दरवाज़े पर पहुंचे। उन्होंने दरवाज़ा खटखटाया, द्वार पर एक अति सुंदर युवती आई। उसे देखकर वो सब कुछ भूलकर उससे बातें करने लगे। बातें करते करते नारद ने उसके आगे विवाह का प्रस्ताव रख दिया। युवती और उसका परिवार विवाह के लिए मान गए। दोनों खुशी-खुशी जीवन व्यतीत कर रहे थे। इसके बाद उनके बच्चे भी हो गए।
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एक दिन अचानक बारिश हुई। बारिश रूकने का नाम नहीं ले रही थी। लगातार बारिश होने के कारण पानी बहुत बढ़ गया और उनके घर में भी आ गया। पानी इतना ज्यादा बढ़ गया कि उनका घर भी पानी में बहने को आ गया। बाढ़ से बचने के लिए वो अपनी पत्नी और बच्चों को लेकर वहां से जाने लगे लेकिन पानी का बहाव ज्यादा होने के कारण उसके पुत्र पानी में बह गए। देखते ही देखते उसकी पत्नी भी पानी में बह गई। किसी तरह खुद को बचाते-बचाते वो किनारे पर निकल आए। अपने परिवार को खो देने के शौक से वे रोने लगे। वो रोना इतना गहन था कि रोना सिर्फ सपने तक न रहा उनके सोते-सोते भी मुंह से रोने की आवाज़ निकल रही थी।
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उधर विष्णु जी काफी देर से नारद का इंतजार कर रहे थे। उनको ढूंढते-ढूंढते वो उस वृक्ष के पास पहुंचे यहां नारद सो रहे थे। उन्होंने नारद को नींद से उठाया और उसके आंसु पोंछे। नींद से उठने के थोड़ी देर बाद तक उनको समझ नहीं आ रहा था कि ये सपना है या हकीकत। तब भगवान ने पूछा तुम तो पानी लेने गए थे, क्या हुआ?

अब नारद को होश आई और उसने चैन की सांस ली और समझ गए कि ये सपना था। उन्होंने श्री हरि को देखा कि वो उसे देख मुस्करा रहे थे। तब भगवान ने मुस्कराते हुए कहा कि अब तो मिल गया होगा तुम्हें, तुम्हारे सवाल का जवाब। तुम जानना चाहते थे न माया क्या होती है, और लोग इसकी चपेट में आकर कैसा महसूस करते हैं। जो तुमने सपने में देखा वही माया है।
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