ये पात्र भी था महाभारत के युद्ध का अहम हिस्सा !

Edited By Lata,Updated: 23 Mar, 2019 02:47 PM

religious story of mahabharata

हिंदू धर्म का सबसे प्रमुख ग्रंथ महाभारत है, जिसमें रोचक ही नहीं बल्कि अद्भुत और प्रेरणादायक कथाएं वर्णित हैं।

ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
हिंदू धर्म का सबसे प्रमुख ग्रंथ महाभारत है, जिसमें रोचक ही नहीं बल्कि अद्भुत और प्रेरणादायक कथाएं वर्णित हैं। महाभारत में कौरवों की संख्या 100 बताई जाती है यानि दुर्योधन के 100 भाई थे लेकिन सच यह है कि दुर्योधन 100 नहीं पूरे 101 भाई थे और जिसे दुर्योधन ने कभी अपना समझा ही नहीं, क्योंकि वे गांधारी के गृभ से नहीं बल्कि किसी ओक के गृभ से पैदा हुआ था। महाभारत के युद्ध में केवल वहीं जीवित बचा था। उसने हमेशा से ही सबको अधर्म के रास्ते को छोड़ने की सलाह दी थी। वे कभी नहीं चाहता था कि कौरवों और पाडंवों के बीच किसी तरह का युद्ध हो। लेकिन किसी ने भी उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया था। तो चलिए आइए जानते हैं इस पात्र के बारे में-
PunjabKesari, Mahabharata, महाभारत
धृतराष्ट्र चाहता था कि उसके घर पाण्डु से पहले पुत्र पैदा हो ताकि राज तिलक उसी का सबसे पहले हो। लेकिन विधि के विधान के आगे किसी की न चली और गांधारी से पहले ही कुंती ने पुत्र को जन्म दिया। लेकिन उससे पहले पुत्र की चाहत में अधीर हुए जा रहे धृतराष्ट्र ने गांधारी की सेवा में नियुक्त सेविका से संबंध बना लिया जिससे एक पुत्र का जन्म हुआ, जिसका नाम युयुत्सु था। किंतु दुर्योधन ने कभी युयुत्सु को अपने भाई के रूप में स्वीकार नहीं किया और सदा अपमान किया।
PunjabKesari, Yuyutsu, युयुत्सु
महाभारत के युद्ध को युयुत्सु ने बहुत रोकना चाहा, लेकिन उसे सफलता नहीं मिल सकी। फिर युद्ध से पहले युधिष्ठिर ने यह कहा कि कौरव सेना के योद्धा जो हमारी तरफ आना चाहते हैं वह हमारी ओर आ सकते हैं उनका हम स्वागत करेंगे और हमारी सेना से जो लोग उस ओर जाना चाहते हैं चले जाएं उनका भी हम सम्मान करेंगे। इस घोषणा को सुनकर केवल युयुत्सु का ही विवेक जागा और वह पाण्डवों की ओर चला गया। इस घटना को देखकर दुर्योधन ने युयुत्सु के इस व्यवहार पर उसे कायर और दासी का पुत्र तक कह डाला। युद्ध में युधिष्ठिर ने अपनी ओर आए युयुत्सु के प्राणों की रक्षा के लिए उन्हें युद्ध में सीधे तौर पर शामिल नहीं किया बल्कि उनकी बुद्धि कौशल और प्रबंधन क्षमता का प्रयोग किया। युयुत्सु ने अपने इस दायित्व को बहुत जिम्मेदारी के साथ निभाया और संसाधनों की कमी के बावजूद पांडव पक्ष को हथियारों और रसद की कमी नहीं होने दी। महाभारत युद्ध के बाद भी युधिष्ठिर ने इन्हें महामंत्री का पद प्रदान किया गया।  
PunjabKesari, Yuyutsu, युयुत्सु
ये एक उपाय Weak student को भी exam में करा सकता है Pass (VIDEO)

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!