क्या महालक्ष्मी का वाहन इंद्र का हाथी ऐरावत भी था ?

Edited By Lata,Updated: 28 Dec, 2018 04:52 PM

religious story of mata lakshmi

पुराणों में शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी की उपासना का दिन माना गया है। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा कई रूपों में की जाती है।

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पुराणों में शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी की उपासना का दिन माना गया है। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा कई रूपों में की जाती है। खासकर कई लोग इस दिन मां वैभव लक्ष्मी का व्रत करते हैं। उनका मानना है कि मां वैभव लक्ष्मी को अगर प्रसन्न किया जाए तो वे शीघ्र अपने भक्तों की मनोकामना को पूरा करती हैं और उन्हें मनचाहा वरदान देती हैं। तो वहीं महालक्ष्मी की पूजा साल में एक बार ही की जाती है। आज हम आपको माता महालक्ष्मी के गजस्वरूप की पूजा के बारे में बताएंगे।
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एक बार महालक्ष्मी व्रत के पूजन के लिए गांधारी ने अपने नगर की सभी स्त्रियों को निमंत्रण दिया परन्तु कुंती से नहीं कहा। गांधारी के 100 पुत्रों ने बहुत सी मिट्टी लाकर एक हाथी बनाया और उसे खूब सजाकर महल के बीचों बीच स्थापित कर दिया। सभी स्त्रियां पूजा की थाल लेकर गांधारी के महल के लिए तैयार हो गई। इस पर कुंती बड़ी उदास हो गई, जब पांडवों ने अपनी माता की उदासी का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि मैं किसकी पूजा करूं। मेरे पास तो हाथी नहीं हैं।
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तब अर्जुन ने कहा मां! तुम पूजा की तैयारी करो मैं जीवित हाथी लाता हूं।
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इतना कहकर अर्जुन इन्द्र के पास पहुंचा और अपनी माता के व्रत पूजन के लिए वह उनके हाथी ऐरावत को इंद्र से मांग लाए। कुंती ने प्रेम पूर्वक पूजन किया। जब इस बात का पता सभी को लगा कि कुुंती के यहां तो स्वयं इंद्र का ऐरावत हाथी आया है तो सभी उनके महल की ओर दौड़ पड़े और सब ने मिलकर पूजन किया और तब से महालक्ष्मी के व्रत पर माता के गजरूप की पूजा की जाने लगी।
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