Kundli Tv- किसने दिया था शनि देव को श्राप, जानें यहां

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 Dec, 2018 05:01 PM

religious story of shani dev

ब्रह्म पुराण की एक कथा के अनुसार बचपन से ही शनि देवता भगवान श्री कृष्ण के परम भक्त थे। वह श्री कृष्ण के प्रेम में सदा डूबे रहते थे।

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ब्रह्म पुराण की एक कथा के अनुसार बचपन से ही शनि देवता भगवान श्री कृष्ण के परम भक्त थे। वह श्री कृष्ण के प्रेम में सदा डूबे रहते थे। वयस्क होने पर इनके पिता सूर्य देव ने गंधर्वराज चित्ररथ की कन्या से इनका विवाह कर दिया। इनकी पत्नी सती-साध्वी और परम तेजस्विनी थी। एक रात वह ऋतु स्नान करके पुत्र प्राप्ति की इच्छा से इनके पास पहुंची पर यह श्री कृष्ण के ध्यान में मग्न थे। इन्हें संसार की कोई सुधि ही नहीं थी। पत्नी शनि देव का इंतजार करते-करते थक गई। उनका ऋतु काल निष्फल हो गया इसलिए उसने क्रोधित होकर शनिदेव को श्राप दे दिया कि आज से जिस पर भी तुम्हारी दृष्टि पड़ जाएगी वह नष्ट हो जाएगा।
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ध्यान टूटने पर शनिदेव ने अपनी पत्नी को मनाया। पत्नी को भी अपनी भूल पर पश्चाताप हुआ किन्तु श्राप को तोड़ने की शक्ति उसमें न थी, तभी से शनि देवता अपना सिर नीचा करके रहने लगे क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि इनके द्वारा किसी का अनिष्ट हो।
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शनि देव की 8 पत्नियां मानी गई हैं- ध्वजिनी, धामिनी, कंकाली, कलहप्रिया, कंटकी, तुरंगी, महिषी, अजा। उनके नामों का जाप करने से शनि बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं। तो ये नाम जाप प्रतिदिन करना चाहिए। संभव न हो तो शनिवार के दिन जरूर करें। इस तरह करें उनके नामों का जाप-
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ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिया।
कंटकी कलही चाऽथ तुरंगी महिषी अजा।।
शनेर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन‍् पुमान्।
दुःखानि नाशयेन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखम।।
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