श्रद्धा हो तो पत्थरों में से ही सप्राण होकर भक्त से मिलने आते हैं भगवान

Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Feb, 2018 11:35 AM

religious story of shree banke bihari lal

एक राजा ने भगवान कृष्ण का एक मंदिर बनवाया और पूजा के लिए एक पुजारी को रख लिया। मंदिर के पुजारी जी बड़े भाव से बिहारी जी की सेवा करने लगे। भगवान की पूजा-अर्चना और सेवा करते पुजारी की उम्र बीत गई।

एक राजा ने भगवान कृष्ण का एक मंदिर बनवाया और पूजा के लिए एक पुजारी को रख लिया। मंदिर के पुजारी जी बड़े भाव से बिहारी जी की सेवा करने लगे। भगवान की पूजा-अर्चना और सेवा करते पुजारी की उम्र बीत गई। राजा रोज एक फूलों की माला सेवक के हाथ से भेजा करता था। पुजारी वह माला बिहारी जी को पहना देते थे। जब राजा दर्शन करने आता तो पुजारी वह माला बिहारी जी के गले से उतारकर राजा को पहना देते थे। यह रोज का नियम था। एक दिन राजा किसी वजह से मंदिर नहीं जा सका। उसने एक सेवक से कहा, "माला लेकर मंदिर जाओ, पुजारी से कहना आज मैं नहीं आ पाऊंगा। सेवक ने जाकर माला पुजारी को दे दी और बता दिया कि आज वे महाराज का इंतजार न करें।"


सेवक वापस आ गया। पुजारी ने माला बिहारी जी को पहना दी। फिर उन्हें विचार आया कि आज तक मैं अपने बिहारी जी की चढ़ी माला राजा को ही पहनाता रहा। कभी ये सौभाग्य मुझे नहीं मिला। जीवन का कोई भरोसा नहीं कब रूठ जाए। आज मेरे प्रभु ने मुझ पर बड़ी कृपा की है। राजा आज आएंगे नहीं, तो क्यों न माला मैं ही पहन लूं। यह सोचकर पुजारी ने बिहारी जी के गले से माला उतारकर स्वयं पहन ली। इतने में सेवक आया और उसने बताया कि राजा की सवारी बस मंदिर में पहुंचने ही वाली है। यह सुनकर पुजारी जी कांप गए. उन्होंने सोचा अगर राजा ने माला मेरे गले में देख ली तो मुझ पर क्रोधित होंगे। इस भय से उन्होंने अपने गले सेमाला उतारकर बिहारी जी को फिर से पहना दी।  जैसे ही राजा दर्शन को आया तो पुजारी ने नियम अनुसार फिर से वह मालाउतार कर राजा के गले में पहना दी। माला पहना रहे थे तभी राजा को माला में एक सफेद बाल दिखा.राजा को सारा माजरा समझ आ गया कि पुजारी ने माला स्वयं पहन ली थी और फिर निकालकर वापस डाल दी होगी।


पुजारी ऐसाछल कर सकता है, यह सोचकर राजा को बहुत क्रोध आया। उसने पुजारी जी से पूछा कि यह सफेद बाल किसका है? पुजारी जी को लगा कि अगर सच बोल दूगां तो राजा दंड देंगे इसलिए जान छुड़ाने के लिए पुजारी ने कहा- महाराज यह सफेद बाल तो बिहारी जी का है। अब तो राजा क्रोध से आग-बबूला हो गया कि यह  पुजारी झूठ पर झूठ बोले जा रहा है। भला बिहारी जी के बाल भी कहीं सफ़ेद होते हैं. राजा ने कहा- पुजारी जी अगर यह सफेद बाल बिहारी जी का है तो सुबह शृंगार के समय मैं आऊंगा और देखूंगा कि बिहारी जी के बाल सफेद है या काले। यदि बिहारी जी के बाल काले निकले तो आपको फांसी हो जाएगी। 


राजा हुक्म सुनाकर चला गया। अब पुजारी रोकर बिहारी जी से विनती करने लगे- प्रभु मैं जानता हूं आपके सम्मुख मैंने झूठ बोलने का अपराध किया। अपने गले में डाली माला पुनः आपको पहना दी। आपकी सेवा करते-करते वृद्ध हो गया। यह लालसा ही रही कि कभी आपको चढ़ी माला पहनने का सौभाग्य मिले। इसी लोभ में यह सब अपराध हुआ। मेरे ठाकुरजी पहली बार यह लोभ हुआ और ऐसी विपत्ति आ पड़ी है। मेरे नाथ अब कदापि ऐसा अपराध नहीं होगा। अब आप ही बचाइए नहीं तो कल सुबह मुझे फांसी पर चढा दिया जाएगा। पुजारी जी सारी रात रोते रहे। सुबह होते ही राजा मंदिर में आ गया। उसने कहा कि आज प्रभु का शृंगार वह स्वयं करेगा। इतना कहकर राजा ने जैसे ही मुकुट हटाया तो हैरान रह गया। 


बिहारी जी के सारे बाल सफेद थे। राजा को लगा, पुजारी ने जान बचाने के लिए बिहारी जी के बाल रंग दिए होंगे। गुस्से से तमतमाते हुए उसने बाल की जांच करनी चाही। बाल असली हैं या नकली यब समझने के लिए उसने जैसे ही बिहारी जी के बाल तोड़े, बिहारीजी के सिर से खून की धार बहने लगी। राजा ने प्रभु के चरण पकड़ लिए और क्षमा मांगने लगा।य़ बिहारीजी की मूर्ति से आवाज आई- राजा तुमने आज तक मुझे केवल मूर्ति ही समझा इसलिए आज से मैं तुम्हारे लिए मूर्ति ही हूँ। पुजारीजी मुझे साक्षात भगवान समझते हैं। उनकी श्रद्धा की लाज रखने के लिए आज मुझे अपने बाल सफेद करने पड़े व रक्त की धार भी बहानी पड़ी तुझे समझाने के लिए।

सार-समझो तो देव नहीं तो पत्थर। श्रद्धा हो तो उन्हीं पत्थरों में भगवान सप्राण होकर भक्त से मिलने आ जाते हैं।

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