शनि देव की दृष्टि के कारण कटा था बालक श्री गणेश का शीश!

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Nov, 2017 10:52 AM

religious story of sri ganesh and shani dev

श्री गणेश की गज आकृति को लेकर प्रचलित कथा तो यह है कि माता पार्वती ने स्नान से पूर्व एक बालक की आकृति बनाकर उसमें प्राण डाल दिए और उसे पहरे पर बैठा दिया था।

श्री गणेश की गज आकृति को लेकर प्रचलित कथा तो यह है कि माता पार्वती ने स्नान से पूर्व एक बालक की आकृति बनाकर उसमें प्राण डाल दिए और उसे पहरे पर बैठा दिया था। जिसका शीश भगवान शिव ने क्रोध में आ काट गिराया था और फिर माता पार्वती को शांत करने के लिए एक हाथी के बच्चे का सिर जोड़ दिया था, लेकिन कुछ पुराणों में इसके अलग-अलग संदर्भ पढ़ने को मिलते हैं। एेसी ही एक कथा ब्रह्मवैवर्त पुराण में है।

 

एक बार भगवान शिव के प्रिय शिष्य शनि देव कैलाश पर्वत पर आए। उस समय भोलेनाथ ध्यान में लीन थे, शनिदेव मां पार्वती के दर्शन के लिए पहुंच गए। तब मां पार्वती पुत्र गणेश के साथ बैठी थीं। पुराणों अनुसार बालक गणेश का मुख इतना सुंदर और तेजमयी था कि उनके मुख दर्शन से ही सारे कष्ट दूर हो जाते थे। 

 

शनि देव बालक गणेश के सुंदर मुख की ओर न देखते हुए आंखें नीची किए माता पार्वती से बात करने लगे। जब मां पार्वती ने देखा कि शनिदेव किसी को देख नहीं रहे हैं, वे अपनी निगाहें नीची किए हुए हैं। तब माता पार्वती ने शनि देव से पूछा कि वे किसी को देख क्यों नहीं रहे ? क्या उनको कोई दृष्टिदोष हो गया है? शनिदेव ने कारण बताते हुए कहा कि उन्हें उनकी पत्नी ने शाप दिया है कि वो जिसे देखेंगे उसका विनाश हो जाएगा। पार्वती ने पूछा कि उनकी पत्नी ने ऐसा शाप क्यों दिया है तो शनिदेव कहने लगे कि मैं लगातार भगवान शिव के ध्यान में मग्न रहता हूं। एक बार में ध्यान में था और मेरी पत्नी ऋतुकाल से निवृत्त होकर मेरे समीप आई लेकिन ध्यान में होने के कारण मैंने उसकी ओर नहीं देखा।

 

उसने इस अपमान के बदले में मुझे शाप दे दिया कि तुम जिसकी ओर देखोगे, उसका विनाश हो जाएगा। ये बात सुन कर माता पार्वती ने कहा कि आप मेरे पुत्र गणेश की ओर देखिए, उसके मुख का तेज समस्त कष्टों को हर देता है। शनिदेव गणेश पर दृष्टि डालना नहीं चाहते थे लेकिन माता पार्वती के आदेश की अवहेलना भी नहीं कर सकते थे इसलिए उन्होंने तिरछी निगाह से गणेश की ओर देखा। शनि देव की दृष्टि पड़ते ही बालक गणेश का सिर धड़ से कटकर नीचे गिर गया। तब भगवान विष्णु ने एक गजबालक का सिर श्रीगणेश के सिर पर स्थापित कर दिया था।

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