ये उपाय दिलाएंगे उन बीमारियों से छुटकारा जिनके आगे डॉक्टर भी हैं FAIL

Edited By Jyoti,Updated: 15 May, 2019 01:31 PM

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आज कल के समय शायद ही ऐसा घर होगा जहां कोई व्यक्ति किसी बीमारी से पीड़ित न हो। कहने का भाव ये है कि आज के समय लोगों के शरीरों में तरह-तरह के केमिकल भरे पड़े हैं।

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आज कल के समय शायद ही ऐसा घर होगा जहां कोई व्यक्ति किसी बीमारी से पीड़ित न हो। कहने का भाव ये है कि आज के समय लोगों के शरीरों में तरह-तरह के केमिकल भरे पड़े हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि खाने से लेकर पीने कर की चीज़ों में मिलावट है। कोई भी चीज़ शुद्ध नहीं मिलती। जिस कारण घरों में कई तरह की बीमारियां फैलीं हुई हैं। इस कारण ज्यादातर लोग दवाईयां के आदि है। लेकिन कुछ लोगों के साथ ऐसा देखने को मिलता है कि बहुत इलाज करवाने के बाद भी उनकी सेहत में कोई सुधार नहीं आता।
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अब ऐसे में ये एक बहुत बड़ी परेशानी का कारण होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं हम आपके लिए आज कुछ ऐसा लाएं हैं जिससे शायद आपकी इस परेशानी का हल निकल सकता है। जी हां, ज्योतिष शास्त्र में कऐसे तांत्रिक उपायो का वर्णन मिलता है जिनको अपनाने से बड़ा से बड़ा रोग से छुटकारा मिल सकता है। साथ ही जो लोग गरीबी के कारण बहुत परेशान है वो भी इससे मुक्त हो जाएंगे।

आइए जानते हैं ये उपाय-
कहा जाता है कि कभी-कभी डॉक्टरों को भी मरीज़ की किसी गंभीर बीमारी की मूल वजह का पता नहीं चलता, ऐसे में धन और समय दोनों ही बेकार जाते हैं। लेकिन तंत्र शास्त्र में कुछ ऐसे सिद्ध मंत्र बताए गये हैं जिनका अगर सही तरीके से प्रयोग करने पर गंभीर से गंभीर बीमारी कुछ ही दिनों में पूरी तरह ठीक हो जाती है। आयुर्वेद ग्रंथों में लिखा गया है कि ऐसी परिस्थिति में मनुष्य को देवताओं की शरण में जाना चाहिए और उनके दिव्य मंत्रों का जप व यज्ञ करना चाहिए, इससे शारीरिक और मानसिक रोग दूर हो जाते हैं।

मंत्र विधि
रात 11 बजे से 2 बजे तक या फिर सुबह 4 बजे से 7 बजे तक के समय में ही करें।  ज्योतिष के अनुसार अमावस्या और पूर्णिमा तिथि इस प्रयोग के लिए अति उत्तम मानी गई है।
पूजा स्थल पर भगवान अमृतेश्वर मृत्युंजय शिव का आवाहन करें। इसके साथ आटे के दीपक में गाय का घी डालकर इसे जलाएं।
फिर आसन पर बैठकर नीचे दिए गए दोनों मंत्र का 1100 बार जप करें।
जप करते समय रोगी के शीघ्र ठीक होने की मन ही मन कामना करें। जप पूरा होने के बाद हवन व यज्ञ करें और गाय के शुद्ध घी से 108 + 108 आहुति का हवन करें। फिर हवन सामग्री से भी 108 बार आहुति दें।
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यज्ञ की हवन सामग्री:
1- पीली सरसों 250 ग्राम
2- राई 250 ग्राम
3- लाजा 500 ग्राम
4- वालछड़ 10 ग्राम
5- काली मिर्च 100 ग्राम
6- बूरा 500 ग्राम
7- शहद 200 ग्राम
8- हल्दी 200 ग्राम
9- लौंग 5 नग,
10- इलाइची 5 नग
11- गाय के दूध की बनी खीर 100 ग्राम।

मृत्युंजय मंत्र-
ॐ श्री हृीं मृत्युंजये भवगती चैतन्य चन्दे हंस संजीवनी स्वाहा ।।

शीतला देवी मंत्र-
‘वन्देहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगम्बराम्। मार्जनीकलशोपेतां शूर्पालंकृतमस्तकाम्‌॥’

इन सभी को घी में मिलाकर तैयार हुई हवन सामग्री से यज्ञ में आहुति देने के बाद एक सूखे नारियल गोले से पूर्णाहूती करें। इसे पूरे विधि-विधान से करने के बाद आप देखेंगे की जिस रोगी को डॉक्टर भी ठीक नहीं कर पायें उस रोगी को दूसरे दिन ही मरीज़ को लाभ हो जायेगा।
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