Edited By Jyoti,Updated: 23 Apr, 2020 07:12 PM
इस्लाम धर्म में रमजान के मास का अधिक महत्व है। इस माह को इस्लाम धर्म के सभी महीनों में से पाक महीना कहा जाता है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
इस्लाम धर्म में रमजान के मास का अधिक महत्व है। इस माह को इस्लाम धर्म के सभी महीनों में से पाक महीना कहा जाता है। इस दौरान महीने के शुरुआत से लेकर अंतिम दिन यानि पूरा महीना रोजे रखे जाते हैं। बता दें मान्यताओं के अनुसार 7 साल से बड़ा व्यक्ति ही रोज़ा रख सकता है। मगर यह रोजे रखे कैसे जाते हैं व इनको रखने के क्या नियम है इस बारे में काफी लोगों को जानकारी नहीं है। तो चलिए बताते हैं कि रोजे रखने वाले को किन चीजों का सबसे अधिक ध्यान रखना चाहिए। ताकि इस पाक महीने में रोजे रखने का अच्छा फल प्राप्त हो सके।
यूं तो इस पाक महीने में हर कोई प्यार मोहब्बत से ही रहता है। परंतु कई बार किन्हीं कारणों वश रोजे रखने वाले व्यक्ति को किसी अन्य व्यक्ति पर गुस्सा आ जाता है। जो इस्लामिक धर्म की मान्यताओं के अनुसार ठीक नहीं माना जाता है। कहा जाता है अल्लाह की इबादत इस पाक महीने में किसी के साथ न तो बुरा करना चाहिए ना किसी के साथ बुरा होते देखना चाहिए।
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार रोजा रखने का मतलब सिर्फ भूखा प्यासा रहना ही नहीं होता बल्कि इसका एक मुख्य उद्देश्य ये भी होता है कि व्यक्ति अपना व्यवहार भी अच्छा वह साफ रखें तथा सभी के साथ प्रेम से रहे।
रमजान को लेकर इस्लामिक धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दौरान रोजे रखने वाले व्यक्ति को सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक कुछ भी खाना नहीं चाहिए। मान्यता है सुबह सहरी के बाद तथा शाम में इफ्तार के बाद ही कुछ खाना चाहिए।
रमजान का यह महीना इबादत का महीना कहा जाता है। मान्यता है कि इस दौरान त्याग और समर्पण का भाग रखकर ही रोजे रखने चाहिए। पुराने चल रहे गिले-शिकवों को इस दौरान मिटा देना चाहिए तथा किसी तरह के बाद विवाद में नहीं पढ़ना चाहिए। बल्कि इस तरह हर एक के साथ मिल जुल कर रहना चाहिए।
जो लोग इस दौरान नशीली चीज़ों का सेवन करते हैं उन्हें इस पाक महीने में की गई इबादत का फल नहीं मिलता है। इसलिए कहा जाता है रमजान के पाक महीने में किसी भी तरह की नशीली वस्तु का सेवन नहीं करना चाहिए बल्कि जितनी हो सके उतना अल्लाह की इबादत करनी चाहिए। इससे अल्लाह राज़ी होते हैं।
चूंकि इस महीने को पाक महीना कहा जाता है, इसलिए इस्लामी धर्म मान्यताओं के अनुसार इस दौरान में दान आदि जैसे कार्य अधिक करने चाहिए।
कहा जाता है ये महीना नेक कार्य शुभ कार्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है। इस महीने में किए गए कार्यों का फल 70 गुना अधिक मिलता है यही कारण है कि रोजे रखने वाला हर व्यक्ति रमजान में जकात यानि दान ज़रूर करता है।