श्री गणेश संकट चतुर्थी व्रत: सभी अमंगलों को Bye-bye कहने का सुनहरी मौका

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 Jan, 2020 07:46 AM

sakat chauth vrat 2020

हमारे धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान श्री गणेश जी सभी प्रकार के विघ्नों को हरने वाले तथा सभी कष्टों और संकटों से जीव को बचाने वाले हैं, इसीलिए इनका नाम प्रत्येक शुभ कार्य शुरू करने से पहले लिया जाता है,

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हमारे धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान श्री गणेश जी सभी प्रकार के विघ्नों को हरने वाले तथा सभी कष्टों और संकटों से जीव को बचाने वाले हैं, इसीलिए इनका नाम प्रत्येक शुभ कार्य शुरू करने से पहले लिया जाता है, जिस दिन भगवान श्री गणेश जी का जन्म हुआ, उस दिन चतुर्थी तिथि थी, इसीलिए उस दिन को संकट चौथ दिवस के रूप में मनाया जाता है, लोग इस दिन संकट चौथ का व्रत करके भगवान श्री गणेश जी से मनवांछित फल पाते हैं। 

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इस बार श्री गणेश संकट चतुर्थी व्रत पंचांग मतभेद के कारण 13/14 जनवरी को है। श्रीगणेश जी सभी संकटों से जीव को उबारने वाले देवता हैं। वैसे तो गणेश चतुर्थी का व्रत किसी भी मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जा सकता है, परंतु माघ, श्रावण, मार्गशीर्ष और भाद्रपद मास में इसका विशेष महात्म्य है। भाद्रपद मास में किए गए चतुर्थी व्रत में सायं को चन्द्र पूजन नहीं करना चाहिए।  

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कैसे करें व्रत?
संकट चतुर्थी व्रत करने से पूर्व मन में व्रत करने का संकल्प करना चाहिए व प्रात: स्नान आदि नित्य क्रियाएं करके भगवान श्री गणेश जी का विधिवत धूप, दीप, गंध, पुष्प, अक्षत आदि नैवेद्य, फल एवं फूलों से पूजन करें तथा भगवान श्री गणेश जी को लड्डुओं का भोग लगाएं, फिर सभी को वह प्रसाद प्रसन्न मन से वितरित करें। श्री गणेश स्त्रोत का पाठ करें तथा सारा दिन प्रभु नाम का संकीर्तन करते हुए शाम को चांद निकलने पर उसे अर्घ्य देकर फलाहार करें। 

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तिलों के दान का है महात्म्य
इस व्रत में तिलों की पूजा करने का विधान है। भगवान श्री गणेश जी को तिलों के खोए वाले लड्डुओं का भोग लगाया जाता है तथा तिलों की गच्चक, रेवडिय़ां व तिल भुग्गा आदि का दान किया जाता है। कुछ लोग इस व्रत को भुग्गे वाला व्रत भी कहते हैं।

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पुण्यफल
कहा जाता है कि जिस कामना से कोई इस व्रत को करता है, उसकी वह कामना अवश्य ही पूरी हो जाती है तथा जितने तिल कोई इस व्रत में दान करता है, उतने युगों तक जीव को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। परिवार की सुख-शांति, धन-संपत्ति, मंगलमय भविष्य तथा बच्चों की अच्छी सेहत एवं उनकी कुशाग्र बुद्धि की कामना से भी यह व्रत अति उत्तम है। 

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व्रत से जुड़ी परम्पराएं
मान्यता है कि जैसे बच्चे के जन्म पर लोहड़ी उत्सव मनाया जाता है, वैसे ही बालक के जन्म अथवा लड़के का विवाह होने पर तिलों के लड्डुओं का थाल डालने की परंपरा पंजाब में प्रचलित है। लोग सवा किलो से सवाया वजन के तिल के लड्डुओं का भोग भगवान श्री गणेश जी को लगाते हैं तथा उनका वितरण करते हैं। 

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