आज भी करोड़ों अनुयायी ‘श्री सत्य साई बाबा’ के उपदेशों से मार्गदर्शन प्राप्त कर रहे हैं

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 23 Nov, 2021 11:27 AM

sathya sai baba

भारत महान संतों, महात्माओं, पीरों, फकीरों की पावन भूमि है। इन्हीं महान आत्माओं में से एक हैं भगवान श्री सत्य साई बाबा। सत्य, धर्म, शांति, प्रेम एवं अहिंसा के संदेशवाहक भगवान श्री सत्य साई बाबा का सम्पूर्ण जीवन मानवता की सेवा को समर्पित

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Sathya Sai Baba Jayanti 2021: भारत महान संतों, महात्माओं, पीरों, फकीरों की पावन भूमि है। इन्हीं महान आत्माओं में से एक हैं भगवान श्री सत्य साई बाबा। सत्य, धर्म, शांति, प्रेम एवं अहिंसा के संदेशवाहक भगवान श्री सत्य साई बाबा का सम्पूर्ण जीवन मानवता की सेवा को समर्पित रहा। जहां उन्होंने लाखों-करोड़ों लोगों को अध्यात्म से जोड़ा वहीं मानवता के कल्याण के लिए ऐसे अनेकों कार्य किए जो अपने आप में उदाहरण हैं। 

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23 नवम्बर, 1926 को आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव पुट्टापर्ती में माता ईश्वरम्मा जी की कोख से सत्य नारायण (इनके बचपन का नाम) का जन्म हुआ तो घर में पड़े सभी वाद्य यंत्र अपने आप बजने लगे और जिस झूले में बाबा को लिटाया गया उसे नाग देवता ने प्रकट हो झुलाया। 

14 वर्ष की आयु में श्री सत्य नारायण ने अपने परिवार वालों को यह कह कर घर छोड़ दिया कि वह शिरडी के साई बाबा हैं। मैंने उनकी मृत्यु के 8 वर्ष बाद जन्म लिया है और अब मैं उनके अधूरे कार्य पूर्ण करूंगा। यह कह सत्य नारायण ने गांव से कुछ दूर पर एक वृक्ष के नीचे बैठ कर अपना जीवन व्यतीत करना प्रारंभ कर दिया।
 
वर्ष 1949 में पुट्टापर्ती गांव से लगभग एक मील दूर बाबा ने एक आश्रम का निर्माण प्रारंभ करवाया, जिसका डिजाइन बाबा ने स्वयं तैयार किया। उनके 24वें जन्म दिवस  23 नवम्बर 1950 को इस आश्रम का उद्घाटन पूर्ण विधि-विधान से किया गया। आज प्रशांति निलयम (शांति का घर) के नाम से प्रसिद्ध यह आश्रम विश्व का विशाल आध्यात्मिक और सेवा केंद्र बन चुका है। यहां हृदय रोगों का एशिया का सबसे बड़ा अति आधुनिक अस्पताल है। यहां बाबा ने एक विशाल विद्यालय का भी निर्माण करवाया। यहां बच्चों को आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ आध्यात्मिक शिक्षा भी दी जाती है।

‘सत्य साई सेवा संगठन’ के नाम से विश्व में श्री सत्य साई बाबा का मानव धर्म फैला हुआ है। बच्चों को अपनी महान संस्कृति का ज्ञान तथा नैतिक शिक्षा देने के लिए देश भर में प्रत्येक रविवार को बाल विकास की कक्षाएं लगाई जाती हैं। 24 अप्रैल, 2011 को सत्य धर्म, शांति, प्रेम व अहिंसा के संदेशवादक भगवान सत्य साई बाबा इस नश्वर संसार को त्याग कर ब्रह्मलीन हो गए और पीछे छोड़ गए अपने करोड़ों अनुयायी जो उनके उपदेशों से मार्गदर्शन प्राप्त कर रहे हैं।

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