4 नवंबर का शनिवार है खास, बुरा समय टालने के लिए करें ये काम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Nov, 2017 09:27 AM

saturday 4th november is very special to avoid bad times

4 नवंबर शनिवार का दिन बहुत खास है। बहुत सारे शुभ संयोग एकसाथ पड़ रहे हैं जैसे स्नान दान आदि की कार्तिक पूर्णिमा, रब्बीनूर पहली पातशाही श्री गुरु नानक देव जी महाराज का जन्मोत्सव, कार्तिक स्नान एवं भीष्म पंचक समाप्त, मेला स्वामी श्री रामतीर्थ जी...

4 नवंबर शनिवार का दिन बहुत खास है। बहुत सारे शुभ संयोग एकसाथ पड़ रहे हैं जैसे स्नान दान आदि की कार्तिक पूर्णिमा, रब्बीनूर पहली पातशाही श्री गुरु नानक देव जी महाराज का जन्मोत्सव, कार्तिक स्नान एवं भीष्म पंचक समाप्त, मेला स्वामी श्री रामतीर्थ जी (अमृतसर), तीर्थ राज मेला श्री पुष्कर जी (अजमेर), मेला श्री कपालमोचन जी (जगाधरी, हरियाणा), मेला बाबा श्री रुद्रानंद नारी एवं मेला जोगी पांगा (ऊना, हिमाचल), मेला गढगंगा हरिहर क्षेत्र सोनपुर (उ.प्र.), मेला झिड़ी बाबा (जम्मू-कश्मीर), त्रिपुर उत्सव, देव दीवाली, श्री निम्बार्क आचार्य जयंती और रथ यात्रा एवं चातुर्मास व्रत नियम आदि समाप्त (जैन)।


शनिवार के कारक ग्रह शनि हैं। कर्मफलदाता शनि कर्मों के अनुसार फल देते हैं, वह एकमात्र ऐसे देव हैं जो किसी खास पूजन से नहीं बल्कि अच्छे कर्मों से प्रसन्न होकर व्यक्ति के बुरे दौर को भी अच्छे समय में परिवर्तित कर देते हैं। शनि देव की प्रसन्नता के बाद व्यक्ति को परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है और शनि की दशा के समय उनके भक्तों को कष्ट की अनुभूति नहीं होती। शनि मन्त्र ॐ शनैश्वराय नम का जाप करें।


पूर्णिमा के दिन भगवान लक्ष्मी नारायण का विशेष पूजन करने का विधान है। धन संबंधित किसी भी तरह की समस्या का हल पाने के लिए ये दिन सर्वोत्तम है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर रात्रि में वृषदान यानी बछड़ा दान करने से शिवपद की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति इस दिन उपवास करके भगवान भोलेनाथ का भजन और गुणगान करता है उसे अग्निष्टोम नामक यज्ञ का फल प्राप्त होता है। इस पूर्णिमा को शैव मत में जितनी मान्यता मिली है उतनी ही वैष्णव मत में भी प्राप्त है।


बुरा समय टालने के लिए करें ये काम
तारों की छाव में गंगा, यमुना, सरस्वती नदियों व पवित्र सरोवरों में स्नान करने से सैंकड़ों फलों की प्राप्ति होती है। 


स्नान के बाद विधिपूर्वक भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने से विशेष फल मिलता है। 


सायंकाल देव मन्दिरों, चौराहों, पीपल तथा तुलसी के पौधों के पास दीप जलाने से भी पुण्य फलों की प्राप्ति एवं पूर्वजों की कृपा प्राप्त होती है व पापों का नाश होता है। 


कार्तिक पूर्णिमा पर गरीबों, निर्धनों एवं ब्राह्मणों को भोजन एवं दान देने, माता-पिता एवं बड़े बुजुर्गों का चरणस्पर्श कर आशीर्वाद लेने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।

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