सावन का पहला दिन: भस्म आरती के दर्शनों को बड़ी संख्या में महाकाल मंदिर पहुंचे भक्त

Edited By Jyoti,Updated: 14 Jul, 2022 03:30 PM

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उज्जैन: त्रिनेत्र धारी राजाधिराज भगवान महाकाल का श्रवण मास के पहले दिन भंग से श्रृंगार किया गया तड़के 4:00 बजे भस्म आरती के दौरान भांग चंदन से शृंगारित कर सौम्य में आकृति बनाई भोले बाबा भगवान श्री महाकालेश्वर का राजा के स्वरूप

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उज्जैन: त्रिनेत्र धारी राजाधिराज भगवान महाकाल का श्रवण मास के पहले दिन भंग से श्रृंगार किया गया तड़के 4:00 बजे भस्म आरती के दौरान भांग चंदन से शृंगारित कर सौम्य में आकृति बनाई भोले बाबा भगवान श्री महाकालेश्वर का राजा के स्वरूप अद्भुत श्रंगार हुआ उन्हें पुजारियों ने हल्दी चंदन आदि लगाकर शंगारित किया हर दिन भस्मी रमाने वाले महाकाल के इस अद्भुत रूप के भक्तों ने दर्शन किए तो धन्य हो गए। भस्मी रमाने वाले बाबा महाकाल को पहले जल दूध से स्नान कराया। इसके बाद दही शहद और फलों के रस से बने पंचामृत अभिषेक पूजन कर भस्मी रमाई।

उज्जैन भगवान महाकाल मंदिर 12 ज्योतिर्लिंग में खास है दरअसल बाबा महाकाल दक्षिणमुखी है और दुनिया भर में भस्म आदि की परंपरा इसी मंदिर में निभाई जाती ह। मान्यता है कि सावन माह में बाबा महाकाल के दर्शन करने से कष्टों का निवारण होता है और महाकाल के आशीर्वाद से मनचाहे इच्छा का फल मिलता है, इसी के चलते दुनिया भर से श्रद्धालु महाकाल मंदिर पहुंचते हैं। 
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गुरुवार को श्रावण माह के पहले दिन भगवान के मुख पर चंदन का त्रिकुंड तो गले में पुष्पों की माला शोभा बढ़ा रही थी। तरह-तरह के सूखे मेवे का भी सिंगार में उपयोग किया जाता है। बाबा का यहां रूप बड़ा ही मनोहारी होता है, विविध प्रकार के शृंगार में भांग सबसे खास माना जाता है मस्तक पर रजत चंद्र सिर पर शेषनाग का रजत मुकुट धारण कर रजत की मुंडमाला और रुद्राक्ष की माला के साथ-साथ सुगंधित पुष्प से बनी फूलों की माला अर्पित की जाती है। फल और मिष्ठान का भोग लगाया जाता है भस्म आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल का आशीर्वाद लिया। महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से भगवान महाकाल को भस्म आरती की गई। मान्यता है कि भस्म अर्पित करने के बाद भगवान निराकार से साकार रूप में दर्शन देते हैं। 
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