Sawan 2020: वायु देव के हाथों हुई थी इस शिव मंदिर की स्थापना

Edited By Jyoti,Updated: 22 Jul, 2020 05:52 PM

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हमारे देश में ऐसे कई मंदिर व धार्मिक स्थल हैं जिनकी स्थापना स्वयं कई देवी-देवताओं ने की है। यही कारण है कि ये मंदिर देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर के कई कोनों में प्रचलित है।

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हमारे देश में ऐसे कई मंदिर व धार्मिक स्थल हैं जिनकी स्थापना स्वयं कई देवी-देवताओं ने की है। यही कारण है कि ये मंदिर देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर के कई कोनों में प्रचलित है। श्रावण के इस खास मौके पर हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने वाले हैं, जिसकी स्थापना स्वयं वायु देव ने की थी। जी हां, हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के नैम‍िषारण्‍य में स्थित प्राचीन शिव मंदिर की। बताया जाता हैं इस प्राचीन मंदिर में एक अद्भुत मथानी स्थित है, जिससे जुड़ी मान्यताएं ये हैं कि जो भी इस मथानी तो 1 बार छू लेता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। दरइसल उत्तर प्रदेश के नैमिषराय में स्थित इस मंदिर को देवदेश्वर धाम के नाम जाना जाता है। लोक मत है कि यहां परिसर में स्थापित मंदिर द्वापर युग का है। इतना ही नहीं इस मंदिर की एक खास बात ये भी है कि यहां देवी सीता की मथानी भी रखी हुई है। जिसे  छू लेने वाला जातक कभी भी मंदिर से खाली हाथ नहीं गया, कहने का भाव है कि इस छू लेने मात्र से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। मगर इस मंदिर का और मथानी का मनोकामनाओं की पूर्ति का क्या संबंध है? 
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इस बारे में आज भी बहुत कम लोग जानते हैं, तो आइए बताते हैं- 
कहा जाता है इस मंदिर का जिक्र वायुपुराण में पढ़ने-सुनने को मिलता है, जिससे से इस मंदिर की प्राचीनता का अनुमान लगाया जा सकता है। तो वहीं मंदिर को लेकर एक मान्यता प्रचलित है कि अपने 14 वर्ष के वनवास को दौरान श्री राम और उनकी पत्नी देवी सीता ने यहां शिवलिंग की पीजा की थी।

ऐसे मांगते हैं मथानी से मन्‍नत
जैसा कि हमने आपको उपरोक्त बताया कि इस मंदिर को खुद वायु देव ने स्थापित किया था। यहां आने वाले भक्त भगवान शिव जी के लिंग रूप यानि शिवलिंग की पूजा व अभिषेक करते हैं। साथ ही  देवी सीता की मथानी छूकर अपनी तमाम तरह की मनोकामनाएं पूरी करवाते हैं। बता दें पहले यह मथानी मंदिर परिसर में ही थी। परंतु अब ये मथानी को एक न‍ियत स्‍थान पर जाम करवा द‍िया गया है। 
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मुगल शासक ने किया था हमला
ऐसा लोक मत है कि एक बार मुगल शासक औरंगजेब ने कई ह‍िंदू धर्मस्थलों के साथ-साथ देवदेवेश्वर धाम पर भी हमला किया था। उसने अपनी तलवार के साथ यहां स्थापित दिव्य शिवलिंग को क्षतिग्रस्त करने का भी प्रयास किया किंतु अचानक शिवलिंग से मधुमक्खियां व बर्र निकलने लगे थे। जिस कारण मुगल शासक और उसकी सेना वहां से भाग गई।
 

हर साल श्रावण मेंं लगता है मेला
श्रावण मास में देवदेवेश्वर धाम में श्रद्धालुओं के आवागमन का अद्भुत नज़ारा देखने को मिलता है। हालांक‍ि इस बार कोरोना महामारी के चलते ये नज़ारा देखना नामुमकिन है। लेक‍िन अगर सामान्‍य द‍िनों की बात करें तो सावन मास में यहां भक्‍तों द्वारा मंदिर पर‍िसर में रुद्राभिषेक, जलाभिषेक, महामृत्युंजय महामंत्र पाठ, शिवपुराण और रामचरित मानस पाठ आदि का आयोजन करवाया जाता है।
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