Edited By Jyoti,Updated: 09 Jul, 2020 03:40 PM
सावन में एक तरफ़ जहां भोलेनाथ के भक्त उन्हें रिझाने में लग जाते हैं तो वहीं कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो इनके तथा इनसे जुड़े रहस्यों के बारे में जानना चाहते हैं।
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सावन में एक तरफ़ जहां भोलेनाथ के भक्त उन्हें रिझाने में लग जाते हैं तो वहीं कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो इनके तथा इनसे जुड़े रहस्यों के बारे में जानना चाहते हैं। ऐसे में कुछ लोग इन दिनों में हिंदू धर्म के वो ग्रंथ लेकर बैठ गए हैं, जिसमें शिव जी के बारे में बताया गया है परंतु इनमें से कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिनके पास इतना समय नहीं है कि वो ग्रंथ आदि पढ़ सके। तो बता दें ऐसे में आप हमारी वेबसाइट से मदद ले सकते हैं। जी हां, अगर किसी कारण वश आपकी शिव जी के बारे में जानने की इच्छा पूरी नही हो रही आप घर बैठे आराम से जान सकते हैं। बल्कि आप अपने दिन में किसी भी फ्री समय में अपनी इस कामना को पूरा कर सकते है। तो चलिए आपको बताते हैं शिव जी से जुड़े कुछ ऐसे रहस्य जिनके बारे में आप शायद आज तक अंजान हैं।
लगभग लोग जानते हैं कि भगवान शिव ने पहले राजा दक्ष की पुत्री सती से विवाह किया थ, जिन्होंने अपने पिता के घर मेें हुए अपने पति भगवान शंकर का अपमान न सहते हुए यत्रकुंड में अपने आप को भस्म कर लिया था। इसके बाद इन्होंने ही राजा हिमालय के घर में देवी पार्वती के रूप में दूसरा जन्म लिया। बाद में कठिन तप आदि करके भगवान शंकर को अपने पति के रूप में प्राप्त किया। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इनके अलावा गंगा, देवी काली तथा उमा भी भगवान शिव की पत्नियां कहलाती हैं।
भगवान शिव के दो पुत्र भगवान गणेश तथा कार्तिकेय के बारे में तो लगभग सभी जानते हैं, मगर आपको बता दें इनके अलावा जलंधर की उत्पत्ति शिव के तेज़ से हुई है, जिस कारण उसे भगवान शंकर का ही एक अंश माना जाता है। इसके अलावा भूमा नामक असुर शिव जी के माथे के पसीने की बूंद से जन्म लिया था। तो वहीं मोहिनी के कारण अय्यप्पा का जन्म हुआ था। बताते चलें कुछ कथाओं के अनुसार इनके अतिरिक्ति अंधक और खुजा नामक दोनों को भी भगवान के पुत्र कहा जाता है पंरतु बता दें शास्त्रों में इन दोनों का कोई वर्णन नहीं मिलता।
बहुत कम लोग जानते हैं सप्तऋषियों को भगवान शिव के प्रारंभिक शिष्य कहा जाता है। ऐसी किंवदंतियां प्रचलित हैं कि इनके द्वारा ही पूरे पृथ्वी लोक पर शिव के ज्ञान का प्रचार हुआ। कहा जाता है इन्हीं से ही गुरु और शिष्य के पवित्र रिश्ते की शुरुआत हुई थी। बता दें वशिष्ठ और अगस्त्य मुनि का नाम भी शिव के शिष्यों में लिया जाता है। तथा इनके अलावा गौरशिरस मुनि का भी नाम शिव के शिष्यों में शामिल है।