Edited By Jyoti,Updated: 03 Aug, 2021 03:01 PM
हमारे शास्त्रों में और ज्योतिष में रुद्राक्ष का बहुत महत्व है। रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रसाद भी माना जाता है। क्योंकि यह भगवान शंकर को बहुत प्रिय है। यही कारण है कि दुनिया भर के शिव भक्त हमेशा
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हमारे शास्त्रों में और ज्योतिष में रुद्राक्ष का बहुत महत्व है। रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रसाद भी माना जाता है। क्योंकि यह भगवान शंकर को बहुत प्रिय है। यही कारण है कि दुनिया भर के शिव भक्त हमेशा इसे किसी न किसी रूप में इसे धारण किये रहते हैं। शिव पुराण के अनुसार वर्षों तक कठोर तपस्या में लीन शिव जी ने जब अचानक किसी कारणवश अपने नेत्र खोले तो उनके नेत्र से आंसुओं की कुछ बूंदें पर्वत पर गिरीं। इन्हीं अश्रु बूंदों से रुद्राक्ष के वृक्ष उत्पन्न हुए। इसी कारण इनका नाम रूद्राक्ष अर्थात रुद्र का अक्ष या शिव का अश्रु पड़ा। रुद्र की कृपा दिलाने वाला यह रुद्राक्ष व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक कष्टों से मुक्ति दिलाता है। जो व्यक्ति रुद्राक्ष की माला से शिव की साधना करता है, उसे अनंत फलों की प्राप्ति होती है। रुद्राक्ष के बीज आकार में एक समान, चिकना, पक्का ताथा कांटो वाला होता है, जिसे अधिक शुभ माना गया है। वहीं कीड़े लगे, टूटे–फूटे, बिना कांटों के छिद्रयुक्त तथा बिना जुड़े हुए रुद्राक्ष को अशुभ माना गया है। ऐसे रुद्राक्ष को भूलकर भी नहीं धारण करना चाहिए।
आइए जानते हैं इससे जुड़ी खास जानकारी-
एक मुखी रुद्राक्ष में केवल एक धारी होती है।हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति या जिनकी कुंडली में सूर्य संबंधी दोष हो उन्हें एकमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
दो मुखी रुद्राक्ष को अर्धनारीश्वर स्वरूप माना जाता है। इस पर दो धारियां होती हैं। कर्क राशि के जातकों के लिए दोमुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभ होता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
तीन मुखी रुद्राक्ष को अग्नि सवरूप माना जाता है। इस रुदाक्ष को धारण करने से कुंड़ली में व्याप्त मंगल दोष समाप्त हो जाता है। मेष और वृश्चिक राशि के जातकों को इस धारण करना उत्तम फलदायक है।
चार मुखी रुद्राक्ष को ब्रह्मा जी और देवी सरस्वती का रूप माना गया है। ब्रह्माजी को रचनात्मकता का कारक भी माना जाता है, वहीं सरस्वती मां ज्ञान की देवी मानी जाती हैं। इसलिए चार मुखी रुद्राक्ष छात्रों के लिए बहुत लाभदायक होता है। जिन छात्र-छात्राओं में एकाग्रता की कमी है, उनके लिए यह रुद्राक्ष औषधि का काम करता है साथ ही पढ़ने-लिखने में रुचि बढ़ता है।
पंच मुखी रुद्राक्ष का संबंध बृहस्पति ग्रह से है।।इसे धारण करने से शक्ति और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
छः मुखी रुद्राक्ष धारण करना शुक्र ग्रह के लिए लाभकारी माना जाता है। इसे धारण करने से धन और वैभव की प्राप्ति होती है।
सात मुखी रुद्राक्ष का संबंध ज्योतिष में शनि ग्रह से माना जाता है। इसे धारण करने से आर्थिक संपन्नता की प्राप्ति होती है।
आठ मुखी रुद्राक्ष अष्टदेवियों का रूप माना जाता है। इसे धारण करने से अष्टसिद्धियों की प्राप्त होती है तथा राहु संबंधित समस्या से मुक्ति मिलती है।
नौ मुखी रुद्राक्ष रुद्राक्ष धन-सम्पत्ति, मान-सम्मान और यश बढ़ाता है ।
दस मुखी रुद्राक्ष नाकारात्मक शक्तियों से बचाता है। इसे पहनने से दमा, गठिया, पेट, और आंख संबंधी रोगों में लाभ होता है।
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है। साथ ही यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है।
बारह मुखी रुद्राक्ष पेट के रोग, ह्रदय रोग और मस्तिष्क के रोगों में लाभ प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त ज्योतिष में इसे सफलता प्राप्ति का कारक भी माना जाता है।
तेरह मुखी रुद्राक्ष का संबंध शुक्र ग्रह से माना जाता है। मान्यता है कि इसे धारण करने से वैवाहिक जीवन में सुख की प्राप्ति होती है।
चौदह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से छठी इंद्रीय जागृत होती है जो कि आपके मस्तिष्क को संयमित करके सही निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करती है।
गुरमीत बेदी
gurmitbedi@gmail.com