Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 Aug, 2018 09:01 AM
श्रावण मास शिवभक्ति का महीना माना जाता है। भगवान् शिव सृष्टि के प्राणियों की रक्षा करते हैं। धार्मिक दृष्टि से सम्पूर्ण प्रकृति शिव का रूप है। उसका न कोई स्वरूप है और न कोई चिह्न क्योंकि पृथ्वी, जल, वायु, तेज, आकाश, सूर्य,चन्द्रमा व आत्मा आदि सभी...
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श्रावण मास शिवभक्ति का महीना माना जाता है। भगवान् शिव सृष्टि के प्राणियों की रक्षा करते हैं। धार्मिक दृष्टि से सम्पूर्ण प्रकृति शिव का रूप है। उसका न कोई स्वरूप है और न कोई चिह्न क्योंकि पृथ्वी, जल, वायु, तेज, आकाश, सूर्य,चन्द्रमा व आत्मा आदि सभी में शिव तत्व विद्यमान है। इसी कारण प्रकृति की पूजा की जाती है।
श्रावण माह में अत्यधिक वर्षा होती है, जल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहता है, इसीलिए शिव का जलाभिषेक किया जाता है। भगवान शंकर जल की चार बूंदें चढ़ाने मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों को चार बूंदों के बदले चार फर्ज-अर्थ, धर्म, काम व मोक्ष प्रदान करते हैं। भगवान शंकर को जल चढ़ाने से परम शान्ति मिलती है। दूध एवं दही की धारा चढ़ाने से संतान प्राप्ति, गन्ने का रस चढ़ाने से लक्ष्मी की प्राप्ति, मधु धारा के चढ़ाने से कोष की वृद्धि, घी के चढ़ाने से ऐश्वर्य की प्राप्ति और तीर्थ जल चढ़ाने से मोक्ष मिलता है। तीन पत्तों वाले बिल्व पत्र चढ़ाने से तीन जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।
समस्याओं का होता है निदान
समुद्र मंथन से निकले विष का शिव जी ने पान किया था इसलिए शिव के शरीर का ताप बहुत बढ़ गया था और उस ताप को शीतलता प्रदान करने के लिए इन्द्रदेव ने मूसलाधार वर्षा कराई। इससे भगवान शंकर के विष का ताप समाप्त हो गया और उन्हें शान्ति मिली। श्रावण मास में भगवान शंकर को जल चढ़ाने से जीवन के विष यानी समस्याओं का निदान होता है। जन्म कुण्डली में काल सर्प दोष वाले जातकों को श्रावण मास में भगवान् शिव की विशेष पूजा-अर्चना, व्रत, उपवास, शिव चालीसा, रुद्राभिषेक व महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। अत: हमें कम से कम सावन मास में शिव आराधना करते हुए शिवजी को चार बूंद जल अवश्य अर्पित करना चाहिए। इससे हमें अर्थ, धर्म, काम व मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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