Sawan Month 2020: शिव भक्तों के लिए जरूरी जानकारी

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 Jul, 2020 10:09 AM

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श्रावण मास में जो जन शिव पूजा करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्रावण मास में शिव पूजन सभी पापों का क्षय करने वाला है। श्रावण मास के सोमवार या पूरे मास व्रत रखने वालों को उपवास के पूरे

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Why Monday is dedicated to Lord Shiva: श्रावण मास में जो जन शिव पूजा करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्रावण मास में शिव पूजन सभी पापों का क्षय करने वाला है। श्रावण मास के सोमवार या पूरे मास व्रत रखने वालों को उपवास के पूरे दिन, भगवान शिव शंकर का ध्यान करना चाहिए। प्रात: स्नान करने के बाद भस्म का तिलक कर रुद्राक्ष की माला धारण की जाती है। अगर शिव मंदिर में पूजन, जाप करना संभव न हो तो घर में, किसी शांत स्थान पर जाकर पूजन, जाप किया जा सकता है। इस माह के प्रत्येक मंगलवार को श्री मंगलागौरी का व्रत, पूजन, इत्यादि विधिपूर्वक करने से स्त्रियों को विवाह, संतान व सौभाग्य में वृद्धि होती है।

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श्रावण माह को सावन के महीने के रूप में भी जाना जाता है। इस दौरान पडऩे वाले सभी सोमवार को व्रत के लिए बहुत ही खास माना जाता है जिन्हें श्रावण सोमवार और सावन सोमवार व्रत के नाम से जाना जाता है। बहुत से भक्त श्रावण माह के पहले सोमवार से 16 सोमवार के व्रत शुरू करते हैं।

इस मास सेहत के अनुसार ही व्रत रखें। इन दिनों में फल आदि का सेवन ज्यादा करें। इस मास में किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए।

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श्रावण के सोमवार की तालिका
6 जुलाई-
पहला सोमवार
13 जुलाई- दूसरा सोमवार
20 जुलाई- तीसरा सोमवार
27 जुलाई- चौथा सोमवार
03 अगस्त- पांचवां व अंतिम सोमवार

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इसके अलावा ये त्यौहार व्रत, एवं पर्व भी सावन को विशेष बना रहे हैं:
16 को कामिका एकादशी, 20 जुलाई को सोमवती व हरियाली अमावस, 23 को हरियाली तीज, 25 को नाग पंचमी, 30 जुलाई को पवित्रा एकादशी व्रत और 3 अगस्त को रक्षा बंधन।

सावन के महीने में भक्त तीन प्रकार के व्रत रखते हैं-
सावन सोमवार व्रत

सोलह सोमवार व्रत

प्रदोष व्रत

श्रावण महीने में सोमवार को जो व्रत रखा जाता है, उसे सावन का सोमवार व्रत कहते हैं। वहीं सावन के पहले सोमवार से 16 सोमवार तक व्रत रखने को सोलह सोमवार व्रत कहते हैं और प्रदोष व्रत भगवान शिव और मां पार्वती का आशीर्वाद पाने के प्रदोष के दिन किया जाता है।

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व्रत और पूजन विधि
सुबह-सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़े पहनें।

पूजा स्थान की सफाई करें।

आसपास कोई मंदिर है तो वहां जाकर भोलेनाथ के शिवलिंग पर जल व दूध अॢपत करें।

भोलेनाथ के सामने आंख बंद शांति से बैठें और व्रत का संकल्प लें।

दिन में दो बार सुबह और शाम को भगवान शंकर व मां पार्वती की अर्चना जरूर करें।

भगवान शंकर के सामने तिल के तेल का दीया प्रज्वलित करें और फल व फूल अॢपत करें।

ओम नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान शंकर को सुपारी, पंच अमृत, नारियल व बेल की पत्तियां चढ़ाएं।

सावन सोमवार व्रत कथा का पाठ करें और दूसरों को भी व्रत कथा सुनाएं।

पूजा का प्रसाद वितरण करें और शाम को पूजा कर व्रत खोलें।

सोमवार शाम पढ़ें शिव चालीसा, भोलेनाथ प्रसन्न होकर देंगे वरदान।

अंत में भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।

पुण्यफल
श्रावण मास में शिव पूजन, शिव पुराण, रुद्राभिषेक, शिव कथा, शिव स्रोतों व ॐ नम: शिवाय’ का पाठ करते हुए रात्रि जागरण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है।


 

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