Sawan Special: शिवलिंग पर जल अर्पित करते संमय अपनाएं ये Rules, वरना...

Edited By Jyoti,Updated: 18 Jul, 2022 02:45 PM

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हिंदू धर्म के शास्त्रों व पुराणों के अनुसार श्रावण मास में शिव जी का कई प्रकार से अभिषेक किया जाता है। ऐसा कहा जाता देवों के देव महादेव जलाभिषेक आदि करने से अपने भक्तों पर अधिक प्रसन्न होते हैं। ज्योतिष शास्त्र में कई तरह के अभिषेक के बारे में...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू धर्म के शास्त्रों व पुराणों के अनुसार श्रावण मास में शिव जी का कई प्रकार से अभिषेक किया जाता है। ऐसा कहा जाता देवों के देव महादेव जलाभिषेक आदि करने से अपने भक्तों पर अधिक प्रसन्न होते हैं। ज्योतिष शास्त्र में कई तरह के अभिषेक के बारे में जानकारी दी है, जिसके चलते लोग पंचामृत, दूध व जल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। इस दौरान हर किसी का सारा ध्यान शिव जी पर जल आदि चढ़ाने पर होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं इस दौरान कुछ खास नियमों का ध्यान रखना अनिवार्य होता है। तो अगर आप भई ये नियम जानना चाहते हैं तो चलिए आपको बताते हैं कि श्रावण के इस मास में आपको शिव जी का किसी भी प्रकार का अभिषेक करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

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कहा जाता है कि जिस जिस प्रकार पूजा के लिए जल की पवित्रता आवश्यक है, उसी प्रकार पूजा की पवित्रता भी आवश्यक होती है। अर्थात शिव जी को जल चढ़ाते समय भी पवित्रता का ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि किस  कलश से उन पर जल अर्पित किया जाए। ध्यान रखें कि शिवाभिषेक करने के लिए सबसे उत्तम तांबे का पात्र माना जाता है। हालांकि कांसे या चांदी के पात्र से अभिषेक करना भी शुभ माना जाता है। परंतु ध्यान रखें कि शिव जी का किसी स्टील के बर्तन से अभिषेक नहीं करना चाहिए। इसके अलावा तांबे के बर्तन से दूध का अभिषेक करना भी अशुभ माना जाता है।

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शिव शंभू को जल अर्पितक करते समय दिशा का ध्यान रखना भी अति आवश्यक माना जाता है। ज्योतिष व धार्मिक शास्त्रों के अनुसार ध्यान रखें कि कभी भी पूर्व दिशा की ओर मुंह करके शिवलिंग पर जल न चढ़ाएं। मान्यताओं के अनुसार पूर्व दिशा को भगवान शिव का मुख्य प्रवेश द्वार माना जाता है। मान्यता के अनुसार इस दिशा में मुख करने से शिव जी के द्वार में बाधा उत्पन्न होती है और वह रुष्ट भी हो सकते हैं। इसलिए हमेशा ध्यान दें कि इस दौरान उत्तर दिशा की ओर मुख करके ही शिव जी को जल अर्पित करें। तो वहीं ऐसा कहा जाता है कि इस दिशा की ओर मुख करके जल चढ़ाने से शिव जी के साथ-साथ देवी पार्वती की भी कृपा प्राप्ति होती है।
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भोलेनाथ को जल अर्पित करते समय मन को शांत रखना चाहिए और धीरे-धीरे इन पर जल अर्पित करना चाहिए। ऐसी मान्यता है धीमी धार से शिवलिंग का अभिषेक करने से महादेव प्रसन्न होते हैं। जो लोग जल्दबाजी में तेज़ धारा में शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं उन्हें शुभ फल प्राप्त नहीं होता। 

इस बात का खास ध्यान रखें जब भी शिवलिंग पर चढ़ाएं तो इस दौरान आप बैठे हों, जी हां, अक्सर देखा जाता है लोग खड़े होकर शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं जो धार्मिक शास्त्रों के अनुसार सही नहीं माना जाता है। ऐसा माना जाता है ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति नहीं होती। इसलिए ध्यान रखें कि न जल चढ़ाते समय और न रुद्राभिषेक करते समय कभी भी खड़े न हों।
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