Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Jul, 2017 10:35 AM
हर व्यक्ति सफल होना चाहता है। सफलता भाग्य की फसल और पुरुषार्थ की निष्पत्ति है, जो हर किसी को नसीब नहीं होती। यह सतत् जागरूकता, जीवन के प्रति सकारात्मकता एवं अच्छाई की ग्रहणशीलता से
हर व्यक्ति सफल होना चाहता है। सफलता भाग्य की फसल और पुरुषार्थ की निष्पत्ति है, जो हर किसी को नसीब नहीं होती। यह सतत् जागरूकता, जीवन के प्रति सकारात्मकता एवं अच्छाई की ग्रहणशीलता से संभव है। कुछ अलग पहचान बनाने या सफलता को हासिल करने के लिए जीवन में ग्रहणशीलता जरूरी है। जब भी और जहां भी कोई भी अच्छी चीज दिखे, उसे आदर से ग्रहण करना सीखें। हमें उन भूलों को लगाम देनी होगी, जिनकी स्वच्छंदता आत्मविकास में बाधक बनती है।
सफलता को जीतकर हासिल करना होता है। फ्रांस के एक शीर्षस्थ राजनीतिज्ञ से किसी ने पूछा, ‘‘आप सामाजिक हित के अन्य कार्यों में भाग लेने के लिए कैसे समय निकाल लेते हैं?’’
उनका उत्तर था, ‘‘मैं आज का काम आज ही कर लेता हूं।’’
जो व्यक्ति एक-एक पल को कीमती समझकर उसका सही उपयोग करता है, समय को बिल्कुल नष्ट नहीं करता, वह अपने सौभाग्य का निर्माण कर सकता है।
हर कार्य का परिणाम, प्रतिफल तभी संभव है, जब हम काम को काम नहीं, पूजा मानें। उसकी कद्र करना जानें। तभी हम ऊंचाइयों को छू सकते हैं और सफलता का वरण कर सकते हैं। एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स ने कहा था कि मैं अपने जीवन को एक पेशा नहीं मानता, मैं कर्म में विश्वास रखता हूं, परिस्थितियों से शिक्षा लेता हूं।
सोना आग की आंच में तप कर शुद्ध बनता है। हीरा तराशने पर चमकता है, हथौड़े की मार सहकर पत्थर प्रतिमा का रूप लेता है। बीज का समर्पण ही उसे वृक्ष का विस्तार देता है। सफलता की ऊंचाइयां बलिदान की बुनियाद पर हैं। जॉन क्विंंसी एडम्स ने कहा भी है कि साहस और दृढ़ निश्चय जादुई तावीज हैं, जिनके आगे कठिनाइयां दूर हो जाती हैं और बाधाएं उडऩ-छू हो जाती हैं।
सफल बनने की अदम्य आकांक्षा रखने वाले व्यक्ति को दीपक बनकर जलना होता है, फूल बनकर खिलना होता है। अपनी कमियों को लेकर धैर्य न खोएं, अपितु तुरंत उनका समाधान करना शुरू करें।