Edited By Jyoti,Updated: 21 Sep, 2018 01:47 PM
हममें से बहुत से एेसे लोग होते हैं, जो अपनी सफलता का श्रेय हमेशा दूसरे लोगों को दे देते हैं। बल्कि सफलता के साथ-साथ कुछ लोग तो अपनी विफलता का क्रेडिट भी दूसरों के मत्थे मढ़ देते हैं।
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हममें से बहुत से एेसे लोग होते हैं, जो अपनी सफलता का श्रेय हमेशा दूसरे लोगों को दे देते हैं। बल्कि सफलता के साथ-साथ कुछ लोग तो अपनी विफलता का क्रेडिट भी दूसरों के मत्थे मढ़ देते हैं। लेकिन जब इंसान अपने आप को ठीक से समझेगा तभी उसे ज्ञात होगा कि उसकी सफलता-विफलता का कारण वह खुद ही होता है। लेकिन हममें से बहुत से लोग एेसे हैं, जो इस स्वीकार करने की हिम्मत नहीं रखते और अपने अंदर की काबलियत और कमियों को दूसरों में ढूढ़ने में लगे रहते हैं। बल्कि कुछ लोग तो इसमें सफल भी हो जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप बहुत बड़े एक धोखे में अपना जीवन जी रहे हैं।
जी हां, क्योंकि ज्यादातर लोग अपनी असफलता व दु:खों के लिए अपने नसीब को दोष दे कर अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हैं। तो वहीं कुछ लोग इसके लिए तंत्र मंत्र या बहुत सारे अंधविश्वास के सहारे इसे सही करने का प्रायस करते हैं।
आइए एक उदाहरण के जरिए आपको समझाने की कोशिश करते हैं। मान लीजिए अगर किसी व्यक्ति को कैंसर है और वह बहुत पीड़ित है। तो क्या तंत्र मंत्र से उसे ठीक किया जा सकता है या क्या पूजा-पाठ करने से ठीक हो जाएगा। नहीं, अगर ऐसा करता है तो वह अपने आप को मृत्यु के करीब ले जाने का प्रयास कर रहा है।
हमारा शारीर भी एक तंत्र की भाति ही काम करता है अगर उसका सही तरह से ख्याल नहीं रखा जाएगा तो ये सब विकृतियां उत्पन्न हो सकती हैं। परंतु इसके लिए हमें औषधि और अच्छे वैध की ज़रूरत होती है। योग और व्यायाम की ज़रूरत होती है।
इसी प्रकार जब हमें असफलता प्राप्त होती है, तो हम अपनी तैयारी को दोष न देकर अपने भाग्य और किस्मत को कोसते हैं। किसी महान पुरुष ने एक बहुत ही अच्छी बात लिखी गई है कि “असफलता का मुख्य कारण, सच्चे मन से प्रयास न करना” इसलिए जब तक आप खुद को उस सफलता के काबिल नही बना लेते तब तक सफलता आप के हाथ नही आ सकती है। इसलिए सबसे ज़रूरी है कि खुद को समझना और उस दिशा में प्रयास करना।
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