वीरभद्र मंदिर की गुत्थी दुनिया का कोई भी इंजीनियर आज तक सुलझा नहीं पाया

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Sep, 2017 10:46 AM

secret of virbhadra temple

आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के एक छोटे से ऐतिहासिक गांव लेपाक्षी में 16वीं शताब्दी का वीरभद्र मंदिर है। इसे लेपाक्षी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह रहस्यमयी मंदिर है जिसकी गुत्थी दुनिया का कोई भी इंजीनियर आज

आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के एक छोटे से ऐतिहासिक गांव लेपाक्षी में 16वीं शताब्दी का वीरभद्र मंदिर है। इसे लेपाक्षी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह रहस्यमयी मंदिर है जिसकी गुत्थी दुनिया का कोई भी इंजीनियर आज तक सुलझा नहीं पाया। ब्रिटेन के एक इंजीनियर ने भी इसे सुलझाने की काफी कोशिश की थी लेकिन वह भी नाकाम रहा। मंदिर का रहस्य इसके 72 पिल्लरों में एक पिल्लर है, जो जमीन को नहीं छूता। यह जमीन से थोड़ा ऊपर उठा हुआ है और लोग इसके नीचे से कपड़े को एक तरफ से दूसरी तरफ निकाल देते हैं। मंदिर का निर्माण विजयनगर शैली में किया गया है। इसमें देवी, देवताओं, नर्तकियों, संगीतकारों को चित्रित किया गया है। दीवारों पर कई पेंटिंग्स हैं। खंभों व छत पर महाभारत और रामायण की कहानियां चित्रित की गई हैं। मंदिर में 24 और14 फुट की वीरभद्र की एक वॉल पेंटिंग भी है। यह मंदिर की छत पर बनाई गई भारत की सबसे बड़ी वॉल पेंटिंग है। पौराणिक कथाओं के अनुसार वीरभद्र को भगवान शिव ने पैदा किया था। 


मंदिर के सामने विशाल नंदी की मूर्ति है जो एक ही पत्थर पर बनी है। कहा जाता है कि दुनिया में यह अपनी तरह की नंदी की सबसे बड़ी मूर्ति है। वीरभद्र मंदिर का निर्माण दो भाइयों विरन्ना और विरुपन्ना ने किया था। वे विजयनगर साम्राज्य के राजा अच्युतार्थ के अधीन सामंत थे। लेपाक्षी गांव का रामायण कालीन महत्व है। 


पौराणिक कथा
एक किंवदंती प्रचलित है कि जब रावण सीता का हरण करके लिए जा रहा था तब जटायु ने उससे युद्ध किया था। इसके बाद घायल होकर जटायु यहीं गिर गया था। भगवान राम ने जटायु को घायल हालत में यहीं पाया था और उन्होंने उससे उठने के लिए कहा था। ले पाक्षी का तेलुगू में अर्थ है- उठो पक्षी।

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