पादरी की उदारता देख चोर के मन में जाग उठा पश्चाताप

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Nov, 2017 11:29 AM

seeing the generosity of the priest wake up in the mind of the thief repent

इंगलैंड के एक पादरी का आध्यात्मिक शक्ति में अटल भरोसा था। जो कोई भी उनके घर में एक बार आ जाता वह उनके आतिथ्य और सत्कार से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता था।

इंगलैंड के एक पादरी का आध्यात्मिक शक्ति में अटल भरोसा था। जो कोई भी उनके घर में एक बार आ जाता वह उनके आतिथ्य और सत्कार से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता था। उनके मन में लोगों के लिए अथाह प्रेमभाव था इसलिए लोग उनका बहुत सम्मान भी करते थे। 


एक दिन जेल से भागा हुआ चोर रात में शरण लेने के लिए इधर-उधर घूम रहा था। उसने देखा कि पादरी के घर का दरवाजा खुला हुआ है इसलिए वह उस ओर चला गया और पादरी के घर में प्रवेश कर गया। पादरी ने उसे देखते ही उसका अभिवादन किया और कहा,‘‘तुम्हारा इस घर में स्वागत है मेरे भाई लेकिन तुम यह बताओ तुम कौन हो और यहां क्या करने आए हो?’’


इस पर चोर ने सफेद झूठ बोलते हुए कहा, ‘‘फादर, मैं मुसाफिर हूं और रास्ता भटक गया हूं सो इधर-उधर भटक रहा था। आपके घर का दरवाजा खुला हुआ देखा तो इस ओर चला आया। क्या मुझे सिर छुपाने के लिए जगह मिल सकती है? मैं सुबह होते ही यहां से चला जाऊंगा।’’


पादरी ने उससे कहा, ‘‘हां क्यों नहीं, तुम यहां आराम से रह सकते हो। मुझे लगता है तुम बहुत थक गए हो इसलिए तुम जाकर आराम से हाथ-मुंह धो लो। मैं तुम्हारे सोने और खाने का प्रबंध करता हूं।’’ इस पर चोर पादरी का आभार व्यक्त करते हुए स्नानघर की ओर बढ़ गया। इतने में पादरी ने उसके खाने और सोने की व्यवस्था कर दी। पादरी ने उसका बहुत अच्छे से आतिथ्य-सत्कार किया और उसे अच्छा भोजन करवाकर उसके सोने की व्यवस्था कर दी।


रात को सभी के सो जाने के बाद चोर के मन में चोरी की इच्छा जागी और पादरी के घर से सोने के 2 दीपदान चुराकर वहां से निकल भागा। रात में पुलिस उसकी तलाश में ही थी सो वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया तो पूछताछ में उसने बता दिया कि मैंने ये पादरी के घर से चुराए हैं। इस पर उसे पादरी के सामने लाया गया तो पादरी ने पुलिस वालों से कहा, ‘‘आप कृपया इन्हें छोड़ दीजिए। ये मेरे घर में मेहमान के तौर पर आए थे और मैंने ये दीपदान इन्हें उपहार के तौर पर दिए हैं।’’


इतने में चोर के ज्ञानचक्षु खुल गए और उसे अपनी भूल का अहसास होने लगा। पादरी की उदारता देखते हुए चोर के मन में पश्चाताप होने लगा और उसने माफी मांग कर फिर कभी चोरी नहीं करने का वचन दिया।

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