Edited By Niyati Bhandari,Updated: 05 Mar, 2021 06:43 AM
आज 5 मार्च, शुक्रवार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि है। ये दिन श्रीराम की परम भक्त माता शबरी को समर्पित है। अत: इसे शबरी जयंती के रुप में मनाया जाता है। शबरी माला में बड़े पैमाने में
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Shabari Jayanti 2021: आज 5 मार्च, शुक्रवार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि है। ये दिन श्रीराम की परम भक्त माता शबरी को समर्पित है। अत: इसे शबरी जयंती के रुप में मनाया जाता है। शबरी माला में बड़े पैमाने में भक्त माता शबरी की पूजा करते हैं। श्रीरामायण, रामचरितमानस आदि ग्रंथों में मां शबरी का वर्णन मिलता है। भारत के बहुत सारे स्थानों पर माता शबरी की स्मृति यात्रा भी निकाली जाती है। जो व्यक्ति श्रीराम की कृपा चाहते हैं, उनके लिए उन्हें प्रसन्न करने का ये सुनहरी मौका है।
Shabari jayanti Shubh Muhurat: शबरी जयंती का शुभ मुहूर्त
4 मार्च 2021 बृहस्पतिवार की रात 09: 58 से सप्तमी तिथि का आरंभ हो जाएगा। इसका समापन 5 मार्च 2021 शुक्रवार की रात 07: 54 पर होगा।
Shabari katha: माता शबरी से जुड़ी खास जानकारी
लोक प्रचलित कथा के अनुसार माता शबरी 9 वर्ष की आयु में ऋषि मातंग के आश्रम में आई थी। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर ऋषि मातंग ने शबरी को आशीर्वाद दिया था की तुझ से स्वयं भगवान श्रीराम भेंट करने आएंगे। उसने गुरु के वचनों पर भरोसा रखा और 109 साल की आयु में प्रभु श्री राम ने अपने वनवास काल में भक्त शबरी से भेंट की थी। उनकी भक्ति को पूर्ण करने के लिए उनके जूठे बेर भी खाए थे।
जब राम जी ने अपने अनुज लक्ष्मण को शबरी के जूठे बेर खाने के लिए दिए तो उन्होंने क्रोधवश उन्हें फेंक दिया। वे सोचने लगे भगवान को भोग लगाने के बाद भक्त उनका प्रसाद ग्रहण करते हैं। ये भगवान को ही अपना जूठा दे रही हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार श्रीराम तथा रावण के बीच हुए युद्ध के दौरान मेघनाद के तीर से लक्ष्मण घायल एवं मूर्छित हो गए थे। जब सब उपचार निष्फल हो गए तो वैद्यराज के कहने पर बजरंगबली हिमालय से संजीवनी बूटी लेने गए थे। ये संजीवनी बूटी शबरी के जूठे बेर ही थे, जो लक्ष्मण जी ने फेंक दिए थे। जिससे उन्हें फिर से जीवन प्राप्त हुआ था।