चुनाव में जीत की आशा लेकर UP के CM योगी पहुंचे शाकुंभरी देवी मंदिर

Edited By Jyoti,Updated: 25 Mar, 2019 04:17 PM

shakambhari devi temple

जैसे कि हम आपको बता चुके हैं लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए अलग-अलग पार्टी के नेता आदि विभिन्न मंदिरों में

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जैसे कि हम आपको बता चुके हैं लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए अलग-अलग पार्टी के नेता आदि विभिन्न मंदिरों में जाकर आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं। इस सूची में अब तक प्रधान मंत्र मोदी, प्रियंका गांधी के अलावा कई चुनावी नेताओं का नाम शामिल थी। परंतु अब इसमें एक और नाम सामने आया है, जो है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का। खबरों की मानें तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को मां शांकभरी देवी के मंदिर में पूजन के बाद चुनावी शंखनाथ कर चुनाव के मैदान में उतर रहे हैं। आइए जानते हैं माता शाकंभरी देवी के मंदिर की खासियत और महत्व के बारे में-
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मंदिर से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं
शाकुंभरी देवी मंदिर, सहारनपु से 40 किमी. की दूर स्थित है जो शहर के शकुम्भरी क्षेत्र में आता है। इस दुर्गा शक्तिपीठ के बारे में मान्यता है कि यहां देवी सती का शीश यानि सिर गिरा था। पौराणिक कथाओं के अनुसार दुर्गम नामक एक दैत्य था जिसने ब्रहमा जी की तपस्या करके उन्हें प्रसन्न किया था और वरदान में उनसे चारों वेदों को प्राप्त किया था। साथ ही ब्रह्मा जी से ये वरदान भी प्राप्त किया था कि युद्ध में कोई उससे जीत न सके। कहा जाता है कि दुर्गम राक्षस के आतंक से सौ वर्ष तक वर्षा न हुई जिस कारण अन्न-जल के अभाव से भयंकर सूखा पड़ गया। लोग मरने लगे। तब सभी देवता एक साथ देवी की शरण में गए और उनसे दुर्गम राक्षस को मारने की प्रार्थना की।
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देवताओं की इस समस्या का हल करने के लिए मां दुर्गा मां शाकंभरी देवी के रूप में धारा, जिनके सौ नेत्र थे। अपने इन्हीं नेत्रों से उन्होंने रोना शुरू कर दिया, जिससे हजारों धाराऐं बहने लगी अंत में मां शाकंभरी ने दुर्गम दैत्य का अंत कर दिया। तो वहीं एक अन्य कथा के अनुसार शाकुम्भरा (शाकंभरी) देवी ने 100 वर्षों तक तप ऐसी निर्जीव जगह पर तप किया था जहां 100 वर्ष तक पानी भी नहीं था। उनके इस तप के प्रभाव से वहां पर पेड़-पौधे उत्पन्न हो गए थे। हिंदू धर्म के दुर्गा सप्तशती के 11वें अध्याय में मां शाकुंभरी देवी का वर्णन मिलता है। मान्यता है कि सौ नेत्रों से भक्तों की ओर दयापूर्ण दृष्टि से देखने वाली मां को  देवी शताक्षी भी कहा जाता है। एक किंवदंती के अनुसाप जब सारे संसार में वर्षा न होने के कारण अकाल पड गया तो शताक्षी देवी ने अपने शरीर से उत्पन्न शाको यानि साग सब्जी से संसार का पालन किया था। कहा जाता है कि इसलिए इन्हें पृथ्वी पर शाकंभरी नाम से से जाना जाता है।
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बाबा भूरादेव 
कहा जाता है कि प्राचीन समय में भूरादेव नामक मां भगवती का परम भक्त दैत्यों को हराने के लिए उनसे युद्ध करने मैदान में उतरा। अपने भक्त के इस साहस को देखकर मां भगवती ने भूरादेव को वचन दिया था कि जो भक्त मेरे दर्शन से पहले  तुम्हारे दर्शन करेगा उसकी ही यात्रा पूर्ण होगी। आज भी श्रद्धालु पहले भूरादेव मंदिर पर प्रसाद चढ़ाते हैं और बाद में मां शाकुंभरी देवी के दर्शन करते हैं।
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