Edited By Jyoti,Updated: 07 May, 2021 04:01 PM
08 मई को वैसाख मास का प्रदोष व्रत मनाया जाएगा। इसके बारे में काफी जानकारी हम आपको दे चुके हैं। आगे भी इसी कड़ी में आपको बताने जा रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र में
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
08 मई को वैसाख मास का प्रदोष व्रत मनाया जाएगा। इसके बारे में काफी जानकारी हम आपको दे चुके हैं। आगे भी इसी कड़ी में आपको बताने जा रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र में बताया दगया है व्रत रखने के कई नियम आदि होते हैं। जैसे कि व्रत के दौरान क्या खाना चाहिए, क्या नहीं आदि। तो वहीं प्रत्येक व्रत को पूजने की विधि भी विभिन्न होती है। तो आइए आपको बताते हैं कि सनातन धर्म के अनुसार प्रदोष व्रत के दिन किस विधि से पूजा करनी चाहिए, तथा इस दिन क्या खाना चाहिए क्या नहीं-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रदोष काल में उपवास के दौरान व्यक्ति को केवल हरे मूंग का सेवन करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है हरा मूंग पृथ्वी तत्व है और मंगाग्नि को शांत करता है। इसके अलावा प्रदोष व्रत में लाल मिर्च, अन्न, चावल, और सादा नमक नहीं खाना चाहिए हालांकि आप पूर्ण उपवास या फलाहार भी कर सकते हैं।
व्रत की विधि-
सूर्योदय से पहले उठें। नित्यकर्म से निवृत होकर श्वेत रंग के कपड़े पहन लें।
इसके बाद पूजा घर को गंगा जल आदि से शुद्ध व स्वच्छ करें, तथा गाय के गोबर से ले लीप कर मंडप तैयार करें।
इस मंडप के नीचे 5 विभिन्न रंगों का प्रयोग कर के रंगोली बनाएं।
फिर उतर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे और शिव जी की पूजा करें।
पूरे दिन किसी भी प्रकार का अन्य ग्रहण न करें।
शिव मंत्रों का जप करते रहें-
ॐ तत्पुरुषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।।
– ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
ॐ स्वः भुवः ॐ सः जूं हौं ॐ ॥
प्रदोष कथा-
बता दें प्रदोष को प्रदोष कहने के पीछे एक कथा जुड़ी है। संक्षेप में यह कि चंद्र को क्षय रोग था, जिसके चलते उन्हें मृत्युतुल्य कष्टों हो रहा था। भगवान शिव ने उस दोष का निवारण कर उन्हें त्रयोदशी के दिन पुन:जीवन प्रदान किया था जिस कारण इस दिन को प्रदोष कहा जाने लगा।