Edited By Jyoti,Updated: 01 Aug, 2020 11:50 AM
जिस तरह हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि का अधिक महत्व है, ठीक उसी तरह प्रदोष व्रत को भी बहुत खास माना जाता है।
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जिस तरह हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि का अधिक महत्व है, ठीक उसी तरह प्रदोष व्रत को भी बहुत खास माना जाता है। दिन के हिसाब से इसे नाम प्राप्त है, शनिवार के दिन पड़ रही त्रयोदशी तिथि को शनि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। आज यानि 01 अगस्त को इस साल के श्रावण मास का आखिरी शनिवार है। यूं तो प्रदोष काल में भगवान शंकर की पूजा का खासा महत्व है, किंतु शनिवार को पड़ रहे प्रदोष व्रत के दिन इनके साथ-साथ न्याय के देवता शनि देव की पूजा करने का भी अधिक महत्व है। ऐसा कहा जाता है इस दिन इन दोनों की पूजा से कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। लेकिन जिस व्यक्ति को इनकी पूजा करने की विधि न पता हो या ऐसे में क्या करना चाहिए?
तो आपके बता दें ऐसे में आप इनके कुछ मंत्रों का जप कर सकते हैं। जी हां, मान्यता है इन मंत्रों का जप करने से भगवान शिव तथा शनि देव दोनों की कृपा प्राप्त होती है। तो चलिए आपको बताते हैं शनि प्रदोष के दिन जपे जाने वाले उन 5 मंत्रों के बारे में, जिनका उच्चारण करने से भगवान शंकर आप पर अत्यंत प्रसन्न होंगे।
ध्यान रहे सूर्यास्त को इन मंत्रों का जप करने से पहले स्नान आदि करें, फिर शुभ मुहूर्त मेंभगवान शिव की पूजा करें। पूजा के दौरान नीचे दिए गए 5 मंत्रों का श्रद्धापूर्वक जाप करें। बता दें अगर विधि वत पूजा न कर सकें तो केवल इन मंत्रों का जप कर सकते हैं।
पहला मंत्र: शिवशंकर जगद्गुरु नमस्कार।
दूसरा मंत्र: हे रुद्रदेव शिव नमस्कार।
तीसरा मंत्र: शशि मौलि चन्द्र सुख नमस्कार।
चौथा मंत्र: ईशान ईश प्रभु नमस्कार।
पांचवा मंत्र: हे नीलकंठ सुर नमस्कार।
जब मंत्र जप पूरा हो जाए तो भगवान शंकर की आरती ज़रूर करें, धार्मिक मान्यताएं हैं अगर पूजन व मंत्र आदि के जप में कोई भूल होती भी है तो, आरती करने से वो सब गलतियां दूरहो जाती हैं।