Edited By Lata,Updated: 13 Oct, 2019 11:04 AM
जालंधर/चंडीगढ़ (धवन): इस वर्ष शरद पूर्णिमा 13 अक्तूबर को मनाई जाएगी। इस वर्ष 30 साल बाद शरद पूर्णिमा पर बेहद दुर्लभ योग बन रहा है।
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जालंधर/चंडीगढ़ (धवन): इस वर्ष शरद पूर्णिमा 13 अक्तूबर को मनाई जाएगी। इस वर्ष 30 साल बाद शरद पूर्णिमा पर बेहद दुर्लभ योग बन रहा है। देश के प्रमुख ज्योतिर्विद् मदन गुप्ता सपाटू के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पर बृहस्पति की दृष्टि पड़ने से गजकेसरी नाम का शुभ योग बन रहा है जिसकी वजह से इस शरद पूर्णिमा का महत्व और अधिक बढ़ गया है। इस दिन मां लक्ष्मी का जन्म होने के कारण चंद्रमा धरती पर अमृत की वर्षा करता है। धन और सुख की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए शरद पूर्णिमा वाले दिन शुभ मुहूर्त पर पूजा-अर्चना करना लाभकारी रहता है। उन्होंने बताया कि चंद्रोदय 13 अक्टूबर, 2019 की शाम 5.26 बजे होगा। पूर्णिमा तिथि 13 अक्टूबर की रात 12.36 बजे से प्रारंभ होगी व 14 अक्टूबर की रात 2.38 बजे पर पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी।
कहा जाता है कि पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर सबसे पहले अपने इष्टदेव का पूजन करना चाहिए।
भगवान इंद्र और मां लक्ष्मी जी का पूजन करने के लिए घी का दीपक जलाना चाहिए।
इस दिन ब्राह्मणों को विशेषकर खीर का भोजन करवा कर दान-दक्षिणा देना शुभ रहता है।
शरद पूर्णिमा का व्रत विशेषकर लक्ष्मी प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस दिन घर में जगराता करने से भी धन सम्पत्ति में बढ़ौतरी होती है।
शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा को अघ्र्य देकर ही भोजन ग्रहण करना चाहिए।
शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाकर मंदिर में दान करने से भी लाभ मिलता है। माना जाता है कि इस दिन चांद की चांदनी से भी अमृत बरसता है। पूजा करने के बाद रात 12 बजे के बाद अपने परिवार के लोगों को खीर का प्रसाद बांटना बेहतर रहेगा।
मदन गुप्ता सपाटू