Edited By Jyoti,Updated: 01 Oct, 2019 08:28 AM
आज मंगलवार आश्विन मास शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को नवरात्रि का तीसरा दिन है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना होती है। पुराणों व ग्रंथों के अनुसार नवरात्रि उपासना में इनकी आराधना का अत्यधिक महत्व है
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आज मंगलवार आश्विन मास शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को नवरात्रि का तीसरा दिन है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना होती है। पुराणों व ग्रंथों के अनुसार नवरात्रि उपासना में इनकी आराधना का अत्यधिक महत्व है। कहा जाता है इस दिन साधक का मन 'मणिपूर' चक्र में प्रविष्ट होता है। मां चंद्रघंटा की अर्चना करने वाले साधक को इनकी कृपा से अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं तथा दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है। आईए जानते हैं पापनाशिनी मैया चंद्रघंटा का स्तुति गान-
भक्तो! नाम गुनगुनाते चलो!
हर कष्ट निवारण करती मां,
दुख,दर्द, गमों को भुलाते चलो!!
पापनाशिनी मैया...गमों को भुलाते चलो!!
दसों हाथों में अस्त्र-शस्त्र,
त्रिशूल, खड्ग, गदा सुशोभित!
धनुष, बाण, कमंडल विराजे!
करें भक्त तन-मन समर्पित!!
मोतियों की माला चमचम,
स्वर्णमुकुट मस्तक की शोभा!
प्रिय वाहन सवारी सिंह की,
दमक रही मैया की आभा!!
ब्रह्ममुहूर्त उठो सुबह-सवेरे,
नाम जपो मां का, इतराते चलो!
पापनाशिनी मैया...गमों को भुलाते चलो!!
विंध्यवासिनी, अम्बिका, शारदे,
भक्त मन से जो नाम पुकारे!
करती हर प्रतिज्ञा तू पूर्ण,
आएं आंगन में नई-नई बहारें!!
अद्र्धचंद्र चिन्ह ललाट की छाया,
शीतल छटा चांद की बरसे!
तल्लीन हो तेरी पूजा-अर्चना में,
साधक मन पाने को तरसे!!
निर्भयता, विनम्रता, सौम्यता जागे,
मां की महिमा गाते चलो!
पापनाशिनी मैया...गमों को भुलाते चलो!!
परस्पर प्यार की लौ बढ़ाए,
राक्षस, दैत्य, दानव घबराएं!
हो स्थापित सदा भाईचारा,
आलौकिकता की राह दिखलाए!!
कहें 'झिलमिल' कविराय अम्बालवी,
हमको ले लो अपनी पनाहों में!
दिखलाओ दस्तूर जग को ऐसा,
चलें सभी धर्म की राहों पर!!
वरदानी, जगकल्याणी, जग जननी,
मां के जयकारे लगाते चलो!
पापनाशिनी मैया...गमों को भुलाते चलो!!
—अशोक अरोड़ा 'झिलमिल'