Shardiya Navratri 2021: यहां जानें नौ देवियां के रूप और इनकी पूजा से लाभ होने वाले लाभ

Edited By Jyoti,Updated: 06 Oct, 2021 01:27 PM

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नवरात्रि का पर्व आरंभ होने जा रहा है। इस दौरान देवी दुर्गा की जोरों शोरों से अराधना करने का महत्व है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां भगवती के नौ रूपों की पूजा का विधान है।

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नवरात्रि का पर्व आरंभ होने जा रहा है। इस दौरान देवी दुर्गा की जोरों शोरों से अराधना करने का महत्व है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां भगवती के नौ रूपों की पूजा का विधान है। आज हम इस आर्टकिल में आपको नौ देवियों से जुड़ी खास बातें बताने जा रहे हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के पहले दिन 7 अक्टूबर को  घटस्थापना कर मां शैलपुत्री की आराधना की जाएगी। मां शैल पुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। इन्हें पार्वती के नाम से भगवान शंकर की पत्नी के रूप में भी पूजा जाता है। इनका वाहन वृषभ (बैल) है, इनके दाएं हाथ में त्रिशूल है और वे बाएं हाथ में कमल धारण किए हुए हैं। मां शैलपुत्री की आराधना से चंद्र जनित दोष से मुक्ति पाई जा सकती है। वैदिक मान्यताओं के अनुसार चंद्रमा भाग्य के प्रदाता है, जो मां शैलपुत्री द्वारा शासित है। नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा से कुंडली में मौजूद चंद्रमा से संबंधित दोष समाप्त हो जाते हैं यानी चंद्र दोष से मुक्ति मिल जाती है। चंद्र की अनुकूलता होने से मानसिक सुख-शांति प्राप्त होती है। 

नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के देवी ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा की जाती है। देवी ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में माला और बाएं हाथ में कमंडल है। वैदिक मान्यताओं के अनुसार बल और साहस के दाता मंगल देवी ब्रह्मचारिणी द्वारा शासित है। नवरात्रि के दूसरे दिन पूरे नीति नियमों के साथ देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा से मंगल के सभी दोषों से मुक्ति मिलती है। 

नवरात्रि के तीसरे दिन को मां पार्वती के तीसरे रूप चंद्रघंटा देवी की आराधना की जाती है। देवी चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्ध वृत्ताकार चंद्रमा विराजमान है, जो घंटी के समान दिखाई देता है, इसलिए मां के इस रूप को चंद्रघंटा के नाम से जाता है। मां चंद्रघंटा के दस हाथ हैं, वे खड़ग, त्रिशूल, गदा सहित कई अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित है। मां का यह चंद्र घंटा रूप शुक्र ग्रह का स्वामी है। माना जाता है की मां चंद्रघंटा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं। शुक्र से पीड़ित जातकों को देवी के इस स्वरूप की पूजा करना शुभ होता है। मां चंद्रघंटा की पूजा से प्रेम अथवा वैवाहिक जीवन की सभी परेशानियों का नाश होता है। इसी के साथ शुक्र से संबंधित दोषों से भी मुक्ति मिलती है। 

नवरात्रि के चौथे दिन को मां पार्वती के कुष्मांडा रूप की आराधना की जाती है। मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती सिद्धिदात्री रूप लेने के बाद वे ब्रह्मांड को शक्ति प्रदान करने के लिए सूर्य के केंद्र में स्थित हुई। मां कुष्मांडा सूर्य को दिशा और ऊर्जा प्रदान करती हैं। इसलिए भगवान सूर्य का शासन देवी कुष्मांडा द्वारा किया जाता है।

मां कुष्मांडा की आराधना से सूर्य के सभी दोषों से मुक्ति पाई जा सकती है। मां कुष्मांडा की सवारी शेर है और उनकी अष्ट भुजाओं में अस्त्र -शस्त्र सहित माला, कमल और अमृत कलश होता है। 

नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की आराधना के लिए उत्तम माना गया है। मां के इस रूप की चार भुजाएं है और उन्होंने अपने दाएं हाथ में भगवान कार्तिकेय को थामा है वहीं, दो अन्य हाथों में कमल के फूल, और एक हाथ वर मुद्रा में है। बुद्धि और ज्ञान के ग्रह बुध पर देवी स्कंदमाता का शासन होता है।  मां स्कंदमाता की पूजा से कुंडली में बुध ग्रह से संबंधित दोष दूर होते हैं। 

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की आराधना की जाती है। मान्यताओं के अनुसार राक्षस महिषासुर से जन मानस को मुक्ति देने के लिए देवी पार्वती ने मां कात्यायनी का रूप धारण किया था। माता के इस स्वरूप को महिसासुर मर्दिनी के रूप में भी पूजा जाता है। मां कात्यायनी वैदिक ज्योतिष में अमृत समान माने गये गुरू ग्रह पर शासन करती है। मां कात्यायनी की आराधना से गुरू के दोषों का निवारण होता है और गुरू को मजबूती मिलती है।  देव गुरु बृहस्पति को मजबूत करने के लिए मां कात्यायनी की आराधना करना बहुत जरूरी है।

नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है।  कालरात्रि माता पार्वती का सबसे उग्र स्वरूप है। घने अंधकार के समान रंग लिए मां कालरात्रि की सवारी गधा है। उनके चार हाथ है, एक हाथ में तलवार और दूसरे में लौह अस्त्र है। वहीं एक हाथ अभयमुद्रा, तो वहीं दूसरा हाथ वरमुद्रा में है। ग्रहों में न्यायधीश शनि पर मां कालरात्रि का शासन होता है, नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की आराधना से शनि से संबंधित सभी दोषों से मुक्ति मिलती है। 

नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की आराधना की जाती है। मां महागौरी के चार हाथ है, एक हाथ में डमरू, दूसरे में तलवार, वहीं तीसरा अभय मुद्र और चैथा हाथ वरमुद्रा में है। वैदिक मान्यताओं के अनुसार मां महागौरी को राहु ग्रह का स्वामी माना जाता है, नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की विधिवत पूजा अर्चना से राहु से संबंधित दोषों का नाश होता है। 

नवरात्रि के नौवे दिन मां सिद्धदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है। मां सिद्धिदात्री की पूजा से सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है। इनके चार हाथ हैं और वे कमल पुष्प पर विराजमान हैं। देवी सिद्धिदात्री केतु ग्रह की स्वामी है, माता सिद्धिदात्री की पूजा केतु से संबंधित सभी दोषों को समाप्त करती हैं। 

गुरमीत बेदी 
gurmitbedi@gmail.com

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