Edited By Jyoti,Updated: 10 Oct, 2021 10:13 AM
07 अक्टूबर से चल रहे शारदीय नवरात्रि की आज पांचवी तिथि मनाई जा रही है। जिसके उपलक्ष्य में आज के दिन देवी स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती है। शास्त्रों में देवी दुर्गा के साथ-साथ इनके
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07 अक्टूबर से चल रहे शारदीय नवरात्रि की आज पांचवी तिथि मनाई जा रही है। जिसके उपलक्ष्य में आज के दिन देवी स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती है। शास्त्रों में देवी दुर्गा के साथ-साथ इनके विभिन्न रूपों का विवरण पढ़ने को मिलता हैै। तो आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि के पांचवे नवरात्र पर देवी स्कंदमाता से जुड़ी पावन कथा-
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार देवी स्कंदमाता पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करती हैं। नवरात्रि की पांचवीं तिथि के दिन इस देवी की पूजा-अर्चना की जाती है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति मूढ़ ज्ञानी हो जाता है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण ही इन्हें स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। इनके विग्रह में भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं।
धार्मि शास्त्रों में इन देवी को विशेष कृपा प्राप्त है। इनकी उपासना करने वाले जातक की तमाम तरह की इच्छाएं पूर्ण होती हैं। तथा इनकी
भक्ति से भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इन्हें सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। इसलिए इनकी उपासना से जातक अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है। इसके अतिरिक्त मन को एकाग्र रखकर और पवित्र रखकर इस देवी की आराधना करने से साधक व जातक को भवसागर पार करने में कठिनाई नहीं आती है।
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इनकी पूजा करने से मोक्ष का मार्ग सुलभ होता है और जल्दी इसकी प्राप्ति है। शास्त्रों में इन देवी को विद्वानों और सेवकों को पैदा करने वाली शक्ति माना गया है, अर्थात देवी स्कंदमाता को चेतना का निर्माण करने वालीं माता है। कहा जाता है कि कालिदास द्वारा रचित रघुवंशम महाकाव्य और मेघदूत रचनाएं स्कंदमाता की कृपा से ही संभव हुईं थी।