Kundli Tv- शारदीय नवरात्र: पहले दिन करें ये उपाय, कष्टों से मिलेगी मुक्ति

Edited By Jyoti,Updated: 10 Oct, 2018 03:07 PM

shardy navratra

आज यानि 10 अक्टूबर 2018 से मां दुर्गा के शारदीय नवरात्र आरंभ हो गए हैं। आज से हर घर में मां दुर्गा की पूजा पूरे विधि-वत से होगी।

ये नहीं देखा तो क्या देखा (देखें VIDEO)
आज यानि 10 अक्टूबर 2018 से मां दुर्गा के शारदीय नवरात्र आरंभ हो गए हैं। आज से हर घर में मां दुर्गा की पूजा पूरे विधि-वत से होगी। इन 9 दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। परंतु बहुत से लोग हैं, जो आज भी ये नहीं जानती होंगे कि किस दिन कौन से माता रानी का पूजन करना चाहिए।
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वैसे तो देवी मां व्रत रखने वाले और पूजा करने वाले सभी लोगों पर अपनी कृपा बनाती ही हैं, लेकिन अगर सभी लोग ये जान जाएं कि किस दिन मां के कौन से स्वरूप की पूजा करनी चाहिए है और किस विधान से करनी चाहिए है, तो उनको मिलने वाला फल दोगुना हो जाएगा। तो आइए जानते नवरात्र के पहले दिन की जाने वाली मां शैलपुत्री की पूजा के बारे में-

हिंदू मान्यताओं के अनुसार शारदीय नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। माना जाता है कि देवी के इस रूप का नाम शैलपुत्री इसलिए पड़ा क्योंकि उनका जन्म हिमालय के यहां हुआ था। देवी शैलपुत्री को अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। जिस किसी के जीवन में स्थिरता और शक्ति की कमी हो उसे मां शैलपुत्री की पूजा अवश्य करनी चाहिए। महिलाओं के लिए तो मां शैलपुत्री की पूजा काफी शुभ मानी गई है।
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मां शैलपुत्री की पूजा
पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है। इसके लिए सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करें और उस लकड़ी के एक पाटे पर मां शैलपुत्री की तस्वीर रखें। उसे शुद्ध जल से साफ़ करें।
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फिर कलश स्थापना के लिए एक लकड़ी के पाटे पर लाल कपड़ा बिछाएं। उसके बाद हाथ में कुछ चावल लेकर भगवान गणेश का ध्यान करते हुए पाटे पर रख दें। अब जिस कलश को स्थापित करना है उसमें शुद्ध जल भरें, आम के पत्ते लगाएं और पानी वाला नारियल उस कलश पर रखें। इसके बाद उस कलश पर रोली से स्वास्तिक का निशान बनाकर कलश को स्थापित कर दें। फिर बाद में नारियल पर कलावा और चुनरी बांध दें।
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अब एक तरफ एक हिस्से में मिट्टी फैलाएं और उस मिट्टी में जौं डाल दें। इसके बाद मां शैलपुत्री को कुमकुम लगाएं। चुनरी उढ़ाएं और घी का दीपक जलाएं। अज्ञारी में सुपारी, लोंग, घी, प्रसाद इत्यादि का भोग लगाएं। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और मां शैलपुत्री की कथा पढ़ें और साथ ही मां शैलपुत्री के मंत्र का उच्चारण भी करें। उनका ध्यान लगाने के लिए इस मंत्र का जाप करें:

वन्दे वांछित लाभाय चन्द्राद्र्वकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ा शूलधरां यशस्विनीम्॥
इस उपाय से मिटेंगे सारे कष्ट

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मां शैलपुत्री को घी का भोग लगाएं और ध्यान रखें कि जिस घी का मां को भोग लगाएं उसका दान करें। ऐसा करने से रोगी को न सिर्फ कष्टों से मुक्ति मिलती है बल्कि उसका शरीर निरोगी रहता है।
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