Edited By Lata,Updated: 20 Jan, 2020 11:05 AM
सनातन धर्म में माघ माह का बहुत अधिक महत्व होता है। इस मास में आने वाले हर व्रत व त्योहार की अपनी अलग महत्वता होती है।
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सनातन धर्म में माघ माह का बहुत अधिक महत्व होता है। इस मास में आने वाले हर व्रत व त्योहार की अपनी अलग महत्वता होती है। आज हम बात करेंगे माघ मास में आने वाली षटतिला एकादशी की, जोकि आज यानि 20 जनवरी 2020 को मनाई जा रही है। कहते हैं कि आज के दिन दान का बड़ा महत्व होता है। जैसे कि इसके नाम से ही पता लगाया जा सकता है कि इस दिन तिल का दान करना शास्त्रों में श्रेष्ठ बताया गया है। इसके साथ ही श्री हरि की पूजा के साथ माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। चलिए आगे जानते हैं व्रत की पूजन विधि व पारण समय।
एकादशी तिथि का प्रारंभ 20 जनवरी को 2 बजकर 51 ए एम पर हो रहा है और इसकी समाप्ति 21 जनवरी को प्रात: 2 बजकर 5 मिनट पर होगी।
Shattila Ekadashi 2020: आज दान करने से मिलेगा भगवान से मनचाहा वरदान
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पूजन विधि-
षटतिला एकादशी व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन तिल का प्रयोग 6 तरीकों से किया जाता है। तिल स्नान, तिल का उबटन, तिल का हवन, तिल का तर्पण, तिल का भोग और तिल का दान। पूजा के लिए इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में जागकर स्नान कर लें। उसके बाद भगवान विष्णु की पूजा प्रारंभ करें। पूरे दिन निराहार व्रत रखें। फलों का सेवन किया जा सकता है। शाम के समय भगवान विष्णु का पूजन कर उन्हें तिल का भोग लगाएं और षटतिला एकादशी की व्रत कथा भी जरूर पढ़ें।
पारण समय-
शास्त्रों के अनुसार पारण का मतलब एकादशी व्रत के समापन से है जो सूर्योदय के बाद अगले दिन किया जाता है। लेकिन ध्यान रखें कि इस व्रत का पारण द्वादशी तिथि के भीतर ही कर लें। व्रत के समापन के समय इस बात का भी ध्यान रखें कि कहीं हरि वासर तो नहीं लग रहा है। बता दें कि द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि को हरि वासर कहा जाता है। 21 जनवरी को पारण यानी व्रत तोड़ने का समय सुबह 08:00 ए एम से 09:21 ए एम तक रहेगा। इस दिन हरि वासर सुबह 08:00 ए एम पर समाप्त हो रहा है।
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