Edited By Lata,Updated: 15 Mar, 2020 03:08 PM
हिंदू पंचांग के अनुसार शीतला अष्टमी का व्रत 16 मार्च यानि कल रखा जाएगा। इस पर्व को बसोड़ा
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू पंचांग के अनुसार शीतला अष्टमी का व्रत 16 मार्च यानि कल रखा जाएगा। इस पर्व को बसोड़ा के नाम से भी जाना जाता है और कहीं-कहीं ठंड़ी शीतला के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत धार्मिक और वैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण है। बता दें कि ये खास दिन भक्तों की आस्था, श्रद्धा और समर्पण को दिखाता है। इसके साथ ही इस दिन व्रत करने वाले को बासी भोजन जोकि एक दिन पहले बना भोजन माता शीतला को भोग लगाकर ही व्रत वाले दिन खाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से तमाम तरह की बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
शास्त्रों में है इस दिन का ये वर्णन
स्कंद पुराण में शीतला अष्टमी और मां शीतला की महत्ता का उल्लेख है। हालांकि कई लोग इसे सप्तमी के दिन मनाते हैं और कई जगहों पर यह पर्व अष्टमी के दिन मनाया जाता है। इस दिन माता शीतला का पूजन किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, शीतला माता का स्वरूप अत्यंत शीतल है, जो रोग-दोषों को हरण करने वाली हैं। माता के हाथों में कलश, सूप, झाड़ू और नीम के पत्ते हैं और वे गधे की सवारी करती हैं। मुख्य रूप से इनकी उपासना गर्मी के मौसम में की जाती है।
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इन बीमारियों को करता है दूर
वैज्ञानिक मान्यता के अनुसार शीतला अष्टमी के दिन शीतला मां का पूजन करने से चेचक, खसरा, बड़ी माता, छोटी माता जैसी बीमारियां नहीं होती और अगर हो भी जाए तो उससे जल्द छुटकारा मिलता है। दरअसल, जब मां शीतला के स्वरूप को देखते हैं तो हम पाते हैं कि उनके हाथों में कलश, सूप, झाड़ू और नीम के पत्ते हैं। ऐसे में रोगों से बचने के लिए साफ-सफाई, शीतल जल और एंटीबायोटिक गुणों से युक्त नीम का प्रयोग करना चाहिए।