अमरनाथ यात्रा: दिन के 24 घंटों में एक बार दर्शन देते हैं शेषनाग

Edited By Jyoti,Updated: 19 Jul, 2019 11:18 AM

sheshnaag jheel in amarnath yatra

आज कल पूरे भारत में सिर्फ एक ही नाम के जयकारे सुनाई दे रहे हैं, वो है बाबा भोलेनाथ के जयकारे। कहीं हर हर महादेव की गूंज सुनाई दे रही हैं तो कई बम भोले बम के जयकारे।

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आज कल पूरे भारत में सिर्फ एक ही नाम के जयकारे सुनाई दे रहे हैं, वो है बाबा भोलेनाथ के जयकारे। कहीं हर हर महादेव की गूंज सुनाई दे रही हैं तो कई बम भोले बम के जयकारे। इसका एक कारण है सावन का महीना तो दूसरी मुख्य वजह है शिव के प्राचीन धामों की यात्रा का प्रारंभ। जैसे कि आप सबको पता ही होगी कि इस महीने की पहली तारीख़ यानि 1 जुलाई से बाबा बर्फानी की पावन अमरनाथ गुफा की यात्रा शुरू हो चुकी है। जिसके दर्शन करने दूर-दूर से शिव भक्त पहुंच रहे हैं। कुछ मान्यताओं के अनुसार इस अमरेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। अमरनाथ यात्रा चाहे कितनी ही दुर्गम है मगर शिव भक्त महादेव का नाम लेते हुए इसको पूरा करते हैं। आज हम आपको अमरनाथ यात्रा के मार्ग में आने वाली शेषनाग झील के बारे में बताने वाले हैं, जिसमें आज भी कुछ भाग्यशाली लोगों को साक्षात शेषनाग के दर्शन होते हैं। जी हां, वहीं शेषनाग जिनके ऊपर स्वयं जगत के पालन कर्ता श्री हरि विष्णु विश्राम करते हैं।
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तो आइए जानें इस झील के बारे में-
शायद आप में से बहुत से लोग इस बात क न मानें लेकिन कहा जाता भारत की देव भूमि में एक ऐसी झील हैं जहां सौभाग्यशाली मनुष्यों को स्वयं शेषनाग जी के साक्षात दर्शन होते हैं। बता दें पहलगाम से लगभग 32 कि.मी. और चंदनवाड़ी से लगभग 16 कि.मी. की दूरी पर यह शेषनाग नामक मनोरम झील स्थित है जो सर्दी के मौसम में बर्फ़ में बदल जाती है। इसके चारों ओर सात पहाड़ियां एवं कई ग्लेशियर हैं और यही से लिद्दर नदी निकलती है। झील का पानी नीला होने के कारण यह नदी और भी खूबसूरत लगती है। अमरनाथ यात्रा जाने वाला हर व्यक्ति इस झील के दर्शन करता है। कहा जाता है 3658 मीटर की ऊंचाई पर होने के कारण इस झील का नाम शेषनाग के नाम पर रखा गया है।
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पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान शिव जी अपने भावी अर्धांगिनी को  पार्वती को अमर कथा सुनाने अमरनाथ गुफा ले जा रहे थे, तब उन्होंने असंख्य नागों को अनंतनाग में, गंगा को पहलगाम में, चंद्रमा को चंदनवाड़ी में और श्री अपने गले में धारण सर्प को को सात पहाड़ों से घिरी इसी झील में छोड़ा था। मान्यता है कि तब से लेकर आज तक दिन के पूरे 24 घंटों में एक बार इस झील के बाहर आकर श्री शेषनाग साक्षात दर्शन देते हैं, लेकिन कहा जाता है इनके दर्शन केवल भाग्यशाली लोगों को ही होते हैं।
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