बिना जेब ढिली किए इन मंत्रो का जाप पूरे करवा सकता है आपके बड़े-बड़े काम

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 Sep, 2019 01:06 PM

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गौसेवा से आपकी लाइफ में चल रही बड़ी-बड़ी समस्याएं आसानी से हल हो सकती हैं। गाय के दूध, दही, गोबर, मूत्र और घी के प्रयोग से शरीर को रोगों से दूर रखा जाता है। इन पांच तत्वों को पंचतत्व कहा जाता है।

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गौसेवा से आपकी लाइफ में चल रही बड़ी-बड़ी समस्याएं आसानी से हल हो सकती हैं। गाय के दूध, दही, गोबर, मूत्र और घी के प्रयोग से शरीर को रोगों से दूर रखा जाता है। इन पांच तत्वों को पंचतत्व कहा जाता है। मानव को अपना जीवन स्वस्थ बनाना है तो पंचतत्व चिकित्सा प्रणाली की शरण में आना ही होगा। नियमित रूप से गाय को ग्रास देने से मनुष्य को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। गौ मंत्र जप से पाप का नाश हो जाता है। बिना जेब ढिली किए इन मंत्रो का जाप पूरे करवा सकता हैं आपके बड़े-बड़े काम-

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विवाह के समय गोदान (दक्षिणा) 
सनातन वैदिक पद्धति में प्रचलित विवाह का नाम ब्रह्मविवाह है। लग्न के समय गोमाता का उपस्थित होना अति आवश्यक है। किसी कारण गौ उपलब्ध न हो तो लग्न के समय कन्या का पिता कुशा बिछाकर यथा शक्ति गोदान के रूप में धन का दान करता है। मंत्र है : ॐ माता रूद्राणां दुहिता वसूनां स्वसादित्यनामृतस्य नाभि:। प्रणुवोचंचिकितुषे जनायभामागामनागामदिति वधिष्ट’

यानी यह गौ रूद्रों की माता है, वसुओं की कन्या है। आदित्यों की भगिनी है और अमृत युक्त है। इस कारण मैं, आप, ज्ञानवान से कहता हूं कि तुम यह मुझे दो। इसके दर्शन मात्र से हम दोनों के पाप नष्ट हुए। (विवाह पद्धति अनुसार) कन्या दान लेने के उपरांत अमुक वर व कन्या का पिता (यजमान) इस ऋण से भार मुक्त होने के लिए उतना मूल्य पुरोहित को दे या गौशाला को दान दे। 

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जन्मदिन पूजन : जन्मदिन पर नवग्रह पूजन ग्रंथिदान के साथ-साथ गौसेवा के लिए दान से समस्त क्रूर ग्रह दोषों का शमन होता है। गौमाता के शरीर में नवग्रहों सहित तैंतीस कोटि देवताओं का वास जो है।

मृत्यु पर : धर्मशास्त्रों के अनुसार मृत्योपरांत प्रत्येक जीव को परलोक यात्रा के समय नदी पार करनी पड़ती है जिसमें जीव अपने कर्मों के अनुसार नाना प्रकार के कष्ट सहता है।

अत: वैतरणी नदी की यात्रा को सुखद बनाने के लिए मृतक व्यक्ति के नाम वैतरणी गोदान का विशेष महत्व है। पद्धति तो यह है कि मृत्यु काल में गौमाता की पूंछ हाथ में पकड़ाई जाती है या स्पर्श करवाई जाती है लेकिन ऐसा न होने की स्थिति में गाय का ध्यान करवा कर प्रार्थना इस प्रकार करवानी चाहिए।
वैतरणी गोदान मंत्र
‘धेनुके त्वं प्रतीक्षास्व यमद्वार महापथे।
उतितीर्षुरहं भद्रे वैतरणयै नमौऽस्तुते।।
पिण्डदान कृत्वा यथा संभमं गोदान कुर्यात।’

श्राद्ध के उपलक्ष्य में विशेष : ‘निर्णय सिंधु’ के अनुसार जिस व्यक्ति के पास श्राद्ध के लिए कुछ भी न हो, वह पितरों का ध्यान करके गौमाता को श्रद्धापूर्वक घास खिलाए तो श्राद्ध का पूरा फल मिलता है। श्राद्ध के अनुष्ठान में तीन बलियां यानी तीन भोजन भाग (पिंड) 1. गौ, 2. श्वान, 3. काक के लिए रखे जाते हैं।

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