Kundli Tv- आपको भी सताता है बदनामी का डर तो श्राद्ध का ये उपाय है आपके लिए

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 01 Oct, 2018 04:47 PM

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सोमवार दिनांक 01.10.18 को आश्विन शुक्ल सप्तमी पर सप्तम का श्राद्ध मनाया जाएगा। देवगणों से भी पहले पितृगणों को प्रसन्न करना अधिक कल्याणकारी है।

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सोमवार दिनांक 01.10.18 को आश्विन शुक्ल सप्तमी पर सप्तम का श्राद्ध मनाया जाएगा। देवगणों से भी पहले पितृगणों को प्रसन्न करना अधिक कल्याणकारी है। गरुड़ पुराण में ऐसा वर्णन है की समयानुसार श्राद्ध करने से कुल में कोई दुखी नहीं रहता व पुष्टि, बल, सुख व धन प्राप्त होता है। पितृपक्ष में किये गए कार्यों से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है व श्राद्धकर्ता को पितृऋण से मुक्ति मिलती है। सप्तमी का पार्वण श्राद्ध उन पूर्वजों के निमित करते हैं जिनकी मृत्यु शुक्ल या कृष्ण पक्ष की सप्तमी पर हुई हो। भद्रा संज्ञक सप्तमी तिथि मित्रप्रद है तथा इसके स्वामी आदित्य हैं। इस श्राद्ध में आंवला का दान व उपयोग वर्जित है। सप्तमी के श्राद्धकर्म में दो ब्राह्मणों को भोजन करवाने का मत है। इस श्राद्ध में 7 विप्र बटुकों को लाल फल भेंट करते हैं। इस श्राद्ध में विष्णु के सूर्य नारायण स्वरूप का पूजन कर गीता के सप्तम अध्याय का पाठ किया जाता है। सप्तम के श्राद्धकर्म, पिंडदान व तर्पण से स्वास्थ्य लाभ मिलता है, नेत्र विकार दूर होते हैं व बदनामी से मुक्ति मिलती है।
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सप्तमी श्राद्ध विधि: घर की दक्षिण दिशा में दक्षिणमुखी होकर सफ़ेद कपड़ा बिछाकर पितृ यंत्र व पितृओं के चित्र स्थापित करें। जनेऊ (यज्ञोपवित) दाहिने कंधे से लेकर बाई तरफ करें। गौघृत में इत्र मिलाकर दीप करें। सुगंधित धूप जलाएं, चंदन अर्पित करें, गुलाबी फूल चढ़ाएं, मिश्री व इलायची चढ़ाएं तथा भोजन में मखाने की खीर, मैदे की पूड़ी व घीया की सब्जी का भोग लगाएं। इसके बाद विष्णु के चतुर्भुजी स्वरूप का स्मरण करते हुए तुलसी पत्र चढ़ाएं व भागवत गीता के पंचम अध्याय का पाठ करें। पितृ के निमित इस मंत्र का जाप करें। इनके श्राद्ध में चढ़े भोग में से पहले गाय फिर काले कुत्ते व अंत में कौए के लिए ग्रास अलग से निकालकर उन्हें खिलाएं। इसके बाद ब्राह्मण भोजन करवाकर यथायोग्य दक्षिणा दें। 

स्पेशल मंत्र: ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात॥

सप्तमी श्राद्ध मुहूर्त
सर्वोत्तम कुतुप मुहूर्त:
दिन 11:47 से दिन 12:34 तक। 

श्रेष्ठ रौहिण मुहूर्त: दिन 12:34 से दिन 13:21 तक।

साध्य अपराह्न मुहूर्त: दिन 13:21 से शाम 15:42 तक।

स्पेशल टोटके:
नेत्र विकार दूर करने के लिए:
पितृओं पर चढ़े जल से आंखें धोएं।

बदनामी से मुक्ति के लिए: पितृओं के निमित मंदिर में गुड़ वाले चावल दान करें।

स्वास्थ्य में लाभ के लिए: सेब सिर से वारकर पितृओं पर चढ़ाकर गाय को खिलाएं।

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उपाय चमत्कार: 
गुड हेल्थ के लिए:
दूध में तिल मिलाकर सूर्य नारायण को अर्घ्य दें। 

गुडलक के लिए: पानी में चंदन मिलाकर सूर्य नारायण पर चढ़ाएं। 

विवाद टालने के लिए: सूर्य नारायण पर चंदन की 7 अगरबत्ती जलाएं। 
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नुकसान से बचने के लिए: सूर्य नारायण पर सफ़ेद फूलों की 12 पत्तियां चढ़ाएं।

प्रोफेशनल सक्सेस के लिए: सूर्य नारायण पर चढ़े अक्षत किसी मजदूर को दान करें। 

एजुकेशन में सक्सेस के लिए: किसी नोटबुक पर रोली से "ह्रीं" लिखें। 

बिज़नेस में सफलता के लिए: सूर्य नारायण पर शहद व तुलसी पत्र चढ़ाएं।

पारिवारिक खुशहाली के लिए: पूजा घर में बैठकर ह्रीं सूर्यनारायण नमः का जाप करें।
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लव लाइफ में सक्सेस के लिए: सूर्य नारायण पर 2 लाल फूल चढ़ाएं। 

मैरिड लाइफ में सक्सेस के लिए: दंपत्ति सूर्य नारायण पर लाल तेल का दीपक करें।

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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