Shani Pradosh Vrat: इस दिन प्राप्त होता है पितृों का आशीष और मिलता है संतान प्राप्ति का वरदान

Edited By Jyoti,Updated: 01 Aug, 2020 10:35 AM

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आज 01 अगस्त को श्रावण मास के आखिरी शनिवार को शनि प्रदोष व्रत मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वैसे तो सावन का पूरा माह ही भगवान शिव को समर्पित है

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ 
आज 01 अगस्त को श्रावण मास के आखिरी शनिवार को शनि प्रदोष व्रत मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वैसे तो सावन का पूरा माह ही भगवान शिव को समर्पित है। इस दौरान भोलेनाथ की पूजा का अधिक महत्व होता है, परंतु बात अगर इस महीने में आने वाली मासिक शिवरात्रि तथा प्रदोष व्रत की तो इन दिनों भगवान शिव की पूजा करना और आवश्यक हो जाता है। बता दें जो त्रयोदशी व्रत शनिवार के दिन पड़ता है उसे शनि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और विश्वास से इस दौरान भगवान शंकर की आराधना करता है उसको अपने कष्टों से राहत मिलती है। तो चलिए विस्तारपूर्वक जानते हैं कि श्रावण माह के इस आखिरी शनिवार के दिन आप कैसे भगवान शंकर के साथ-साथ शनि देव की कृपा पा सकते हैं। 
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शनि प्रदोष की पूजा:
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकरक के साथ-साथ शनि देव की भी पूजा की जाती है। धार्मिक कथाओं वर्णन मिलता है कि भोलेनाथ की पूजा से इस दिन शनि देव अति प्रसन्न होते हैं क्योंकि देवों के देव महादेव शनि देव के गुरु हैं। 

तो वहीं क्योंकि ये दिन शनि देव को समर्पित है, इसलिए इस खास दिन शनिदेव को ऐसे चीज़ें अर्पित करनी चाहिए जो उन्हें अधिक प्रिय है, जैसे काला तिल, काला वस्त्र, तिल का तेल और उड़द की दाल आदि। 
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इसके अलावा सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत होने के बाद शनि देव तथा भगवान शंकर की पूजा का संकल्प लें। इस बात का खास ध्यान रहे कि शनिदेव की पूजा सुबह नहीं बल्कि शाम के समय ही की जाती है। परंतु शिव जी की पूजा सुबह-शाम दोनों समय की जाती है। 

इस दिन शनि देव की पूजा के अलावा शनि चालीसा का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है इस दिन शनिदेव को प्रसन्न कर लिया जाए तो  दुर्भाग्य से भी मुक्ति मिल जाती है। तो वहीं शाम को शनि मंदिर में जाने से और तिल के तेल का दिया जलाकर शनि मंत्र का जप करने के उपरांत पीपल के पेड़ के नीचे भी दीप दान करने से कुंजली में मौजूद शनि दोष से राहत मिलती है। 
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व्रत का महत्व:
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन शनि देव की पूजा से शनि के बुरे प्रभाव से मुक्ति प्राप्त होती है, शनि की ढैय्या, साढ़ेसाती और महादशा से भी राहत मिलती है। साथ ही साथ इनकी पूजा से कार्यक्षेत्र में आ रह बाधाएं भी दूर होती हैं। खासतौर पर बताया जाता है कि शनि प्रदोष व्रत के शुभ प्रभाव से पितृों के आशीर्वाद के साथ-साथ गोदान का पुण्य प्राप्त होता है तथा जिस दंपत्ति के संतान नहीं होती उन्हें संतान सुख की प्राप्ति भी होती है।


 

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