यहां सूरज की किरणों से होता है देवी मां का अभिषेक, क्या आप ने किए इस भव्य मंदिर के दर्शन?

Edited By Jyoti,Updated: 19 May, 2022 04:07 PM

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बताया जाता है हमारे भारत देश में अनेकों प्रचीन व प्रसिद्ध मंदिर है, जिनमें से किसी न किसी मंदिर के बारे में आए दिन हम आपको जानकारी देते रहते हैं।

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बताया जाता है हमारे भारत देश में अनेकों प्रचीन व प्रसिद्ध मंदिर है, जिनमें से किसी न किसी मंदिर के बारे में आए दिन हम आपको जानकारी देते रहते हैं। इसी कड़ी में आज हम आपको बताने जा रहे हैं देवी लक्ष्मी को एक भव्य मंदिर की। बात दें हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित देवी लक्ष्मी के मंदिर की, जो लगभग 7 हज़ार साल पुराना है तथा बेहद रहस्यमयी है। मान्यता है कि इस मंदिर में साल में सिर्फ दो बार सूरज की किरणें पड़ती हैं। तो आइए जानके हैं क्या इस मंदिर का रहस्य- 
PunjabKesari Kolhapur Maharashtra lakshmi Mandir, lakshmi Mandir Kolhapur, Kolhapur Devi Lakshmi Temple, Devi Lakshmi Shaktipeeth, देवी लक्ष्मी शक्तिपीठ, Lakshmi Shaktipeeth Temple, Dharmik Sthal, Dharmआमतौर पर मंदिरों का मुख्यद्वार पूर्व दिशा में होता है। लेकिन इस मंदिर की खासियत है कि यहां चारों दिशाओं से प्रवेश किया जा सकता है। मंदिर के स्तंभों पर बहुत सुंदर नक्काशी की गई है। साल में दो बार सूर्य की किरणें देवी के विग्रह पर सीधी पड़ती हैं। जो चरणों को स्पर्श करती हुई उनके मुखमंडल तक आती हैं। इस अद्भुत प्राकृतिक घटना को किरणोत्सव कहा जाता है। इसे देखने के लिए भारत के कोने-कोने से हज़ारों श्रद्धालु कोल्हापुर आते हैं। बता दें कि ये प्राकृतिक घटना हर साल माघ मास की रथ सप्तमी को संभावित होती है। कोल्हापुर में ये उत्सव तीन दिनों के लिए मनाया जाता है। पहले दिन सूर्य की किरणें देवी मां के पैरों पर गिरती हैं, दूसरे दिन मध्यभाग में और तीसरे दिन मां के मुखमंडल को छूकर अदृश्य हो जाती हैं।
PunjabKesari Kolhapur Maharashtra lakshmi Mandir, lakshmi Mandir Kolhapur, Kolhapur Devi Lakshmi Temple, Devi Lakshmi Shaktipeeth, देवी लक्ष्मी शक्तिपीठ, Lakshmi Shaktipeeth Temple, Dharmik Sthal, Dharmशक्तिपीठ कहे जाने वाले मां के इस धाम को लेकर लोगों में इतना विश्वास है कि हर साल दिवाली के मौके पर देवस्थान तिरुपति के कारीगर सोने के धागों से बुनी विशेष साड़ी महालक्ष्मी को भेंट करते हैं। जिसे स्थानीय भाषा में शालू कहा जाता है। इसके बाद दीपावली की रात में माता का विशेष पूजन और शृंगार किया जाता है। इस पूजन में दूर-दूर से लोग आते हैं और महाआरती में अपने मन की मुरादें मांगते हैं। ऐसी मान्यता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज और उनकी माता जीजा बाई भी यहां पूजन करने आती थीं।
PunjabKesari Kolhapur Maharashtra lakshmi Mandir, lakshmi Mandir Kolhapur, Kolhapur Devi Lakshmi Temple, Devi Lakshmi Shaktipeeth, देवी लक्ष्मी शक्तिपीठ, Lakshmi Shaktipeeth Temple, Dharmik Sthal, Dharmअगर इस मंदिर की बनावट के बारे में बात की जाए तो काले पत्थर से निर्मित महालक्ष्मी की प्रतिमा की ऊंचाई करीब 3 फीट है। मंदिर के एक तरफ की दीवार में श्री यंत्र पत्थर पर खोद कर चित्र बनाया गया है। देवी के मुकुट में भगवान् विष्णु के शेषनाग नागिन का चित्र भी देखा जा सकता है। मां लक्ष्मी के सामने की पश्चिमी दीवार पर एक छोटी सी खुली खिड़की रहती है और यही वो खिड़की है जहां से सूरज की किरणें प्रवेश करती हैं।
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यहां जानिए मंदिर के इतिहास के बारे में-
केशी नामक राक्षस के बेटे कोल्हासुर के अत्याचारों से परेशान होकर देवताओं ने देवी से प्रार्थना की, तब महालक्ष्मी ने दुर्गा का रूप धारण किया और ब्रहास्त्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। मरने से पहले उसने वर मांगा था कि इस इलाके को करवीर और कोल्हासुर के नाम से जाना जाए। इसी वजह से यहां माता को करवीर महालक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है। कालांतर में कोल्हासुर शब्द कोल्हापुर में बदल गया।

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