नहीं कर पाते दुर्गा सप्तशती का पाठ तो इस स्त्रोत के जप से पा सकते हैं चमत्कारी लाभ

Edited By Jyoti,Updated: 27 Nov, 2019 11:03 AM

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सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरन्ये त्रयम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते।। हिंदू धर्म में आद्यशक्ति देवी दुर्गा को समस्त देवी-देवताओं में सबसे पहले स्थान प्राप्त है तथा साथ ही इन्हें महादेव की महाशक्ति कहा जाता है।

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सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरन्ये त्रयम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
हिंदू धर्म में आद्यशक्ति देवी दुर्गा को समस्त देवी-देवताओं में सबसे पहले स्थान प्राप्त है तथा साथ ही इन्हें महादेव की महाशक्ति कहा जाता है। यूं तो शास्त्रों में प्रत्येक देवी-देवताओं की अराधना लाभकारी मानी जाती है। परंतु कहा जाता महाशक्ति व आद्यशक्ति की पूजा-अर्चना करने वाले जातक की भगवती कोई इच्छा अधूरी नहीं रहने देती। इसके लिए अधिक कुछ करने की आवश्यकता नहीं होती। जी हां, केवल श्रद्धापूर्वक इनकी चमत्कारी स्तुति का पाठ करने से आपके सभी दुख-दर्द तो दूर होते ही हैं। साथ ही साथ ऐसी इच्छाएं पूरी होने लगती हैं जिनके पूरा होने विश्वास जातक लगभग को चुका होता है। तो अगर आपकी भी ऐसी कामनाएं हैं जिन्हें पूरा होता देखने का सपना सजाकर बैठे हैं तो चलिए आपको बताते हैं देवी दुर्गा की उस स्तुति के बारे में जिसे किसी चमत्कार से कम नहीं माना जाता।

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ये है मां दुर्गा का चमत्कारी स्त्रोत-
धार्मिक किंवदंतियों के अनुसार सिद्ध कुंजिका स्त्रोत को दुर्गा सप्तशती ग्रंथ पाठ का सार माना जाता है। जिस कारण ऐसी मान्यता है कि अगर कोई जातक दुर्गा सप्तशती का पाठ न कर पाए तो उसे इसका फल प्राप्त करने के लिए सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ कर लेना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इसका पाठ करने से व्यक्ति के दुर्गा सप्तशती का संपूर्ण फल प्राप्त हो जाता है। जहां दुर्गा सप्तशती का सम्पूर्ण पाठ करने में 3 घंटे का समय लगता है, वहीं सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ कुछ मिनट में ही पूर्ण हो जाता है। ज्योतष मान्यता है कि अगर कोई जातक संकल्प लेकर सिद्ध कुंजिका स्त्रोत मंत्र का नियमित जप करता है तो देवी दुर्गा के आशीर्वाद से उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।  

सिद्ध कुंजिका स्त्रोत मंत्र पाठ सरल विधि-
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।

पूर्व दिशा में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां दुर्गा का चित्र स्थापित कर इनका आवाहन व पूजन करें।

उपोरक्त मंत्र को एक कोरे सफ़ेद कागज़ पर लिखकर फोटो के नीचे रख दें।
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चौकी के बायीं तरफ़ गाय के घी का एक दीपक जलाएं और फिर श्री गणेश जी के प्रतीक रूप में एक बड़ी सुपारी में लाल धागा लपेटकर चावल की ढेरी के आसन पर स्थापित कर पूजन करें।

अब कुशा के आसन पर बैठकर हर रोज़ इस स्त्रोत मंत्र का जप 108 करें। सिद्ध कुंजिका स्त्रोत मंत्र के जप से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होने लगती हैं।

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