श्री सिद्ध बाबा केशव नाथ जी के मुख से जो वचन निकलता वह पूरा होकर रहता

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 Feb, 2020 08:58 AM

shri siddha baba keshav nath ji

इस संसार में समय-समय पर अनेक ऋषि मुनि सिद्ध और तपस्वी हुए हैं जिन्होंने न केवल अपना जीवन ही सफल बनाया, बल्कि अपने संसर्ग में आने वाले सभी व्यक्तियों को अच्छे कर्म करने की प्रेरणा देकर उनको भी सीधा, सुगम एवं प्रभु भक्ति का मार्ग सुझाया।

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इस संसार में समय-समय पर अनेक ऋषि मुनि सिद्ध और तपस्वी हुए हैं जिन्होंने न केवल अपना जीवन ही सफल बनाया, बल्कि अपने संसर्ग में आने वाले सभी व्यक्तियों को अच्छे कर्म करने की प्रेरणा देकर उनको भी सीधा, सुगम एवं प्रभु भक्ति का मार्ग सुझाया। सिरसा के इलाके में दुर्भिक्ष, आंधी के कारण तथा रहन-सहन की अनुकूलता यथाविधि न होने के कारण महेंद्रू बाहरी बिरादरी के पूर्वज वह स्थल छोड़ कर अपने काफिले के रूप में बैलगाडिय़ों पर सवार होकर पुरानी जरनैली सड़क से होते हुए फिरोजपुर से कपूरथला तथा कपूरथला से आगे जालंधर की तरफ बढ़े एवं काफिले के नगर में प्रवेश करने से पहले उस स्थान पर रुके जो आजकल शेर सिंह कालोनी, बस्ती पीरदाद के नाम से विख्यात है तथा महेंद्रू बाहरी बिरादरी के पवित्र स्थान के तौर पर पूज्य है। यहीं से महेंद्रू एवं बाहरी बिरादरी के बुजुर्ग बस्तियों से पार जालंधर के नाम से उभर रहे नए नगर में आए और उन्होंने जिस मोहल्ले को आबाद किया वह आजकल महेंद्रू मोहल्ला कहलाता है।

इस काफिले के साथ रिद्धियों-सिद्धियों के मालिक पूर्ण कर्मयोगी सिद्ध पुरुष महेंद्रू बाहरी कुल के गुरुदेव सिद्ध श्री बाबा केशव नाथ जी भी पधारे थे जो सदा ईश्वर भक्ति में लीन रहते थे। इनकी वाक्य सिद्धि इतनी महान थी कि जो वचन मुख से निकलता वह पूरा होकर ही रहता था। जब बिरादरी के सभी सदस्य नगर में आकर बस गए तब बाबा जी ने उसी स्थान पर अपना निवास रखा। वहां अपना आश्रम बना कर तपस्या की तथा मालिक की बंदगी में जीवन बिताने लगे।

बाबा जी का प्रभाव इतना बढ़ा कि लोग नित्य प्रति उनके दर्शनों के लिए आने लगे। यूं तो हर मास की शुदी दशमी तिथि को ही विशेष तौर पर बिरादरी के सदस्य अपने नवजात शिशुओं के पेहनी (नया चोला धारण करने की रस्म) के लिए यहां आते परंतु माघ शुदी दशमी वाले दिन पेहनी का संस्कार करके लोग अपने आप को विशेष रूप से धन्य मानते थे।

वर्तमान में इस स्थान का जीर्णोद्धार हो रहा है। बुजुर्गों से सुना है कि इस स्थान पर जो भी मन्नत मांगी जाती है वह अवश्य पूरी हो जाती है। पवित्र समाधि के स्थान के निकट एक प्राचीन कुआं भी था। पवित्र समाधि के निर्माण काल में उसका पानी सूख गया था इसलिए उसे भर दिया गया था, पर उसी स्थान पर एक तालाब का निर्माण किया गया। जो लोग बाहर रहते हैं,वे भी प्रथा के अनुसार पेहनी के वस्त्रबाबा जी के पवित्र तालाब के जल से स्पर्श करके मंगवाते हैं तथा अपने-अपने नगर में और घरों में धार्मिक रीतिपूर्वक नवजात शिशुओं को पहनाते हैं।

इस बार बाबा जी का 57वां वार्षिक मेला 4 फरवरी को बाबा जी के समाधि स्थल मंदिर श्री सिद्ध बाबा केशव नाथ जी (जठेरे) महेंद्रू बाहरी बिरादरी सभा, शेर सिंह कालोनी, बस्ती पीरदाद रोड, जालंधर शहर में मनाया जाएगा। 

परम सिद्ध श्री जियो सती माता जी
महेंद्रू बाहरी बिरादरी की परम श्रद्धेय जियो सती माता जी का उल्लेख भी आवश्यक है। यह परम सिद्ध देवी अपने में एक परम तपस्विनी तथा प्रभु भक्तिनी थीं। इस देवी का परम पवित्र समाधि स्थल तालाब बाहरियां, कपूरथला रोड, जालंधर शहर में ही है। महेंद्रू बाहरी बिरादरी का कोई भी कार्य पूर्ण नहीं माना जाता जब तक बिरादरी का सदस्य इस देवी सती के पवित्र चरणों में बैठ कर हाजिरी देकर आशीर्वाद न प्राप्त कर ले।

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