Edited By Jyoti,Updated: 20 Jan, 2020 05:18 PM
आप ने अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि भगवान हर समय हमारे आस-पास रहते हैं। बल्कि मान्यताओं के अनुसार तो हमारे जीवन में होने वाली हर घटना का इन्हीं मर्ज़ी से होती है।
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आप ने अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि भगवान हर समय हमारे आस-पास रहते हैं। बल्कि मान्यताओं के अनुसार तो हमारे जीवन में होने वाली हर घटना का इन्हीं मर्ज़ी से होती है। परंतु बहुत से ऐसे लोग हैं जो इस बात पर विश्वास नही रखते। इसका एक कारण हो सकता है कि उनके साथ ऐसी कोई घटना हुई न हो जिससे उन्हें ये अहसास नहीं हो पाता। तो वहीं कुछ लोग इस बात को समझने में देर कर देते हैं तो वहीं कुछ लोगों ने इन्हें सुनी-सुनाई बातें मानते हैं। परंतु ऐसा नहीं अगर आप हिंदू धर्म से संबंध रखते हं तो आपको अच्छे से पता होगा कि हमारे धर्म का एक बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रंथ है जिसका नाम है श्रीमद्भगवद् गीता। जिसमे ऐसे कई श्लोक वर्णित हैं जो इस बात का प्रमाण देते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति के आस-पास वासुदेव हैं बल्कि हर चीज़, हर इंसान वासुदेव हैं।
आइए जानते हैं ये श्लोक तथा इसका संपूर्ण अर्थ-
बहूनां जन्मनामन्ते ज्ञानवान्मां प्रपद्यते।
वासुदेव: सर्वमिति स महात्मा सुदुर्लभ:।। गीता 7/19 ।।
अर्थ: अनेक जन्मों के अंत में जो ज्ञानवान मेरी शरण आकर 'सब कुछ वासुदेव ही है' इस प्रकार मुझको भजता है वह महात्मा अत्यंत दुर्लभ है।
इस श्लोक के भावार्थ के अनुसार हर किसी को इच्छाओं, वासनाओं, संस्कारों व कर्मों के फलों को भोगने के लिए नया जन्म लेना पड़ता है। जब तक हमें हमारे द्वारा किए गए कर्मों का फल नहीं मिल जाता, तब तक जन्म-मरण का ये सिलसिला चलता रहता है। परंतु जब व्यक्ति की परमात्मा को जानने की रूचि बढ़ जाती है, तब आध्यात्मिक यात्रा शुरु होती है। इस यात्रा में व्यक्ति भक्तियोग की साधना से प्रारब्ध कर्म को स्वीकार करने लगता है तथा कर्मयोग से अपने कर्मों में निष्काम भाव ले आता है एवं निरंतर ज्ञान-ध्यान से चित्त में पड़े संचित कर्मों का नाश कर देता है।
केवल इस प्रकार का जन्म साधक का अंतिम जन्म होता है, इसमें वह इस बात से रूबरू हो जाता है कि जो घट-घट में वास कर रहा है वही वासुदेव है और इस भाव से वह जीवन जीता हुआ परमात्मा को निरंतर भजन करता रहता है।