Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Oct, 2017 11:57 AM
छठ पर्व सूर्य देव को समर्पित है, जो छठ पूजा के नाम से विख्यात है। इसमें उगते सूर्य और डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। छठ ही एकमात्र ऐसा त्यौहार है जब डूबते सूर्य के अर्घ्य दिया जाता है। यह चार दिवसीय उत्सव है। इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल...
छठ पर्व सूर्य देव को समर्पित है, जो छठ पूजा के नाम से विख्यात है। इसमें उगते सूर्य और डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। छठ ही एकमात्र ऐसा त्यौहार है जब डूबते सूर्य के अर्घ्य दिया जाता है। यह चार दिवसीय उत्सव है। इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को तथा समाप्ति कार्तिक शुक्ल सप्तमी को होती है। इस दौरान व्रत करने वाले लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं। इस दौरान वे अन्न तो क्या पानी भी ग्रहण नहीं करते। आज 26 अक्तूबर, 2017 बृहस्पतिवार कार्तिक शुक्ल तिथि षष्ठी है। व्रती जल में उतरेंगे और डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे। सूर्य साक्षात हैं जिन्हें शास्त्रों में 'सर्वति साक्षी भूतम' कह कर संबोधित किया गया है।
अर्थात- जो सब देखते हैं। मान्यता है की सूर्य देव की नजर पृथ्वी के कण-कण में पड़ती है और उनकी नजरों से कोई भी बच नहीं सकता। वह धरती पर हो रहे प्रत्येक घटनाक्रम के एकमात्र साक्षी हैं। जो लोग सूर्य अराधना नहीं करते भगवान उनसे रुष्ट हो जाते हैं।
अर्घ्य देने का शुभ समय
सायंकालीन अर्घ्य- 26 अक्टूबर (गुरुवार)
सायंकालीन अर्घ्य का समय :- सांय काल 05:40 बजे से शुरू
प्रात:कालीन अर्घ्य: 27 अक्टूबर (शुक्रवार)
प्रात:कालीन अर्घ्य का समय: प्रात: 6.28 बजे से शुरू
यह है पूजन सामग्री
बांस या पितल की सूप
बांस से बने दौरा, डलिया और डगरा
पानी वाला नारियल
पत्ता लगा हुआ गन्ना
सुथनी
शकरकंदी
हल्दी और अदरक का पौधा
नाशपाती
बड़ा नींबू, समेत कई पूजन सामग्री शामिल हैं।
अर्घ्य देने की विधि
बांस के सूप में पूजन सामग्री भर कर पीले कपड़े से ढ़क दें, ढलते सूर्य को तीन बार अर्घ्य दें। तांबे के पात्र में जल भरकर उसमें लाल चंदन, कुमकुम और लाल रंग के फूल डालकर अर्घ्य दें। स्वयं की ऊंचाई के बराबर तांबे के पात्र को ले जाएं सूर्य मंत्रों का जाप करें।
अर्घ्य देते वक्त इन मंत्रों के जाप से सूर्य देव को करें प्रसन्न
ॐ घृणी सूर्याय नमः
ॐ मित्राय नम:, ऊं रवये नम:
ॐ सूर्याय नम:, ऊं भानवे नम:
ॐ पुष्णे नम:, ऊं मारिचाये नम:
ॐ आदित्याय नम:, ऊं भाष्कराय नम:
ॐ आर्काय नम:, ऊं खगये नम:
ॐ प्रभाकराय बिद्यमहे दिवाकराय धिमही तन्नो सूर्य: प्रचो दयात