शुक्र प्रदोष कल: भोले बाबा से पाएं, जीवनसाथी की समृद्धि का वर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Dec, 2017 01:48 PM

shukra pradosh on 15th december

कल शुक्रवार दि॰ 15.12.17 को पौष शुक्ल त्रयोदशी के उपलक्ष में शुक्र प्रदोष पर्व मनाया जाएगा। हर माह के कृष्ण व शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि परमेश्वर शिव को समर्पित है। त्रयोदशी सभी प्रकार के दोषों का शमन करती है इसी कारण इसे प्रदोष कहते हैं। सूर्यास्त...

कल शुक्रवार दि॰ 15.12.17 को पौष शुक्ल त्रयोदशी के उपलक्ष में शुक्र प्रदोष पर्व मनाया जाएगा। हर माह के कृष्ण व शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि परमेश्वर शिव को समर्पित है। त्रयोदशी सभी प्रकार के दोषों का शमन करती है इसी कारण इसे प्रदोष कहते हैं। सूर्यास्त के बाद रात्रि के आने से पूर्व का समय प्रदोष काल कहलाता है। मान्यतानुसार प्रदोष के समय महादेव कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का स्तवन करते हैं। शास्त्रनुसार महादेव ने सती को प्रदोष का महत्व समझाते हुए कहा था की कलियुग में प्रदोष ही धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष का सबसे सटीक मार्ग होगा। सर्वप्रथम प्रदोष का ज्ञान वेदव्यास जी ने महर्षि सूत को बताया व गंगा तट पर सूतजी ने सौनकादि ऋषियों को प्रदोष का ज्ञान दिया था। प्रदोष का पूजन वार के अनुसार करने का शास्त्रों में विधान है। शुक्र प्रदोष के व्रत पूजन और उपाय से सभी सुखों की प्राप्ति होती है तथा अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है महर्षि सूत के अनुसार शुक्र प्रदोष व्रत करने से महादेव से जीवनसाथी की समृद्धि का वर मिलता है। जीवन में ऐश्वर्य प्राप्त होता है, व दांपत्य सुख में आ रही कमी दूर होती है।

पूजन विधि: संध्या काल में शिवालय जाकर शिवलिंग का विधिवत पूजन करें। गौघृत का दीप करें, चंदन धूप करें, गुलाबी फूल चढ़ाएं, गुलाल चढ़ाएं, इत्र चढ़ाएं, खीर का भोग लगाएं तथा इस विशेष मंत्र से 1 माला जाप करें। पूजन के बाद भोग किसी सुहागन को भेंट करें।


पूजन मुहूर्त: शाम 17:23 से रात 20:04 तक। 


पूजन मंत्र: क्लीं काममूर्तये नमः शिवाय क्लीं॥ 

 

उपाय

ऐश्वर्यवान जीवन हेतु शिवालय में सुगंधित तेल के 13 दीपक जलाएं।

 
अखंड सौभाग्य हेतु शिवालय में इत्र मिले गौघृत का दीपदान करें।


सर्व सुखों की प्राप्ति हेतु मौली में पिरोए 13 गुलाब के फूल शिवलिंग पर चढ़ाएं।

 

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