Edited By Lata,Updated: 13 May, 2019 10:40 AM
वैशाख शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी का प्रव मनाया जाता है और इस बार यह आज यानि 13 मई 2019 को मनाया जाएगा।
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वैशाख शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी का पर्व मनाया जाता है और इस बार यह आज यानि 13 मई 2019 को मनाया जाएगा। मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां सीता प्रकट हुई थीं। इसलिए आज के दिन पूरे भारत में सीता नवमी का त्यौहार मनाया जाता है। नवमी के दिन पुष्य नक्षत्र में जब महाराजा जनक संतान प्राप्ति की कामना से यज्ञ की भूमि तैयार करने के लिए हल से भूमि जोत रहे थे, उसी समय पृथ्वी से एक बालिका का प्राकट्य हुआ। जोती हुई भूमि को और हल की नोक को भी ‘सीता’ कहा जाता है, इसलिए बालिका का नाम ‘सीता’ रखा गया। तो चलिए आगे जानते हैं मां सीता के पूजन के लिए कौन सा शुभ मुहूर्त है और साथ ही जानते हैं पूजा विधि के बारे में।
पूजा-मुहूर्त – 10:37 से 13:10 बजे तक (13 मई 2019)
नवमी तिथि आरंभ – 17:36 बजे से (12 मई 2019)
नवमी तिथि समाप्त – 15:20 बजे (13 मई 2019)
पूजा-विधिः
सीता नवमी से एक दिन पहले ही सारी तैयारी कर लेनी चाहिए। भूमि पर सुंदर मंडप जोकि सोलह, आठ या चार स्तंभों वाला होना चाहिए। उसके बीच एक स्वच्छ आसन बिछाकर माता सीता और भगवान श्रीराम की विधिवत स्थापना करें।
पूजा के लिए सोने, चांदी, ताम्र, पीतल, लकड़ी और मिट्टी, इनमें से अपनी क्षमता के अनुसार किसी एक धातु से बनी हुई प्रतिमा की स्थापना करें। अगर मूर्ति न हो तो चित्र भी स्थापित कर सकते हैं।
नवमी की सुबह स्नान करने के बाद भगवान राम और माता जानकी को श्रद्धापूर्वक प्रणाम करके उनका पूजन करें। ‘श्री रामाय नमः’ और ‘श्री सीतायै नमः’ मूल मंत्र से पूजा करनी चाहिए।
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‘श्री जानकी रामाभ्यां नमः’ मंत्र द्वारा आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, पंचामृत स्नान, वस्त्र, आभूषण, गन्ध, सिन्दूर तथा धूप-दीप और नैवेद्य आदि उपचारों द्वारा श्रीराम-जानकी का पूजन और आरती करनी चाहिए।
दशमी के दिन फिर विधिपूर्वक भगवती सीता-राम की पूजा-अर्चना के बाद मण्डप का विसर्जन कर देना चाहिए। इसी तरह विधि पूर्वक पूजा करने से भगवान राम व माता सीता की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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