Edited By Jyoti,Updated: 10 Jun, 2021 03:51 PM
अपने वनवास काल में श्री राम, देवी सीता तथा लक्ष्मण जी कई जगहों पर रहे। कहा जाता है जिस जिस जगह पर श्री राम के चरण पड़े वह स्थल पावन हो गया। शास्त्रों में ऐसी कई जगहों का वर्णन किया गया है
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अपने वनवास काल में श्री राम, देवी सीता तथा लक्ष्मण जी कई जगहों पर रहे। कहा जाता है जिस जिस जगह पर श्री राम के चरण पड़े वह स्थल पावन हो गया। शास्त्रों में ऐसी कई जगहों का वर्णन किया गया है। हमेशा की तरह आज भी आपको ऐसे ही दो स्थलों से रूबर करवाने जा रहे हैं, जहां अपने वनवास काल में श्री राम अपनी अर्धांगिनी देवी सीता व भ्राता लक्ष्मण के साथ रहे थे।
सीता बेंगरा, उदयपुर (छत्तीसगढ़)
बेंगरा अर्थात रहने का स्थान। यहां श्री सीता-राम जी कुछ समय तक रहे हैं। पहाड़ी में ठीक पीछे लक्ष्मण बेंगरा भी है। यहां श्रीराम वनवास की चित्रलिपि बहुत सुन्दर व प्राचीन है। यह अनूठी चित्रलिपि अभी तक पढ़ी नहीं जा सकी है।
(ग्रंथ उल्लेख : संकेत के रूप में वा.रा. 3/11/21 से 28 तक देखें)
सीतामढ़ी, हरचौका (छत्तीसगढ़)
जनकपुर से 25 कि.मी. दूर उत्तर-पश्चिम दिशा में मबई नदी के किनारे सीतामढ़ी है। यहां के मन्दिर अब ध्वस्त हो रहे हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी सीता ने इस जगह रसोई बनाई थी, और फिर यहीं पर भोजन भी किया था। श्री रामचरित मानस के अनुसार श्रीसीता-राम जी सुतीक्षण मुनि आश्रम से सीधे अगस्त्य मुनि के आश्रम (अगस्त्येश्वर मंदिर) गए। अत: वहां तक मानस से कोई संदर्भ नहीं मिलते। बता दें वनवास काल के दौरान भगवान राम हरचौका से रापा नदी के तट पर स्थित सीतामढ़ी-घाघरा पहुंचे थे। यहां करीब 20 फीट ऊपर 4 कक्षों वाली गुफा है, जिसके बीच में शिवलिंग स्थापित है।
(ग्रंथ उल्लेख : संकेत के रूप में वा.रा. 3/11/21 से 28 तक देखें)