स्कंद षष्ठी: यहां जानें क्या है इसकी पूजन विधि व महत्व

Edited By Jyoti,Updated: 27 May, 2020 06:02 PM

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27 मई ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन स्कंद षष्ठी का पर्व मनाया जाएगा है। हिंदू पंचांग के अनुसार साल के 365 दिनों में से लगभग हर दिन कोई न कोई त्यौहार पर्व मनाया ही जाता है।

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27 मई ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन स्कंद षष्ठी का पर्व मनाया जाएगा है। हिंदू पंचांग के अनुसार साल के 365 दिनों में से लगभग हर दिन कोई न कोई त्यौहार पर्व मनाया ही जाता है। उन्हीं दिनों में से एक ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष का ये दिन जिस दिन मनाया जाता है भगवान कार्तिकेय को समर्पि स्कंद षष्ठी का दिन। धार्मिक व ज्योतिष मान्यताओं की मानें तो इस दिन देवी पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से अनेक प्रकार की समस्याएं दूर होती हैं। मगर बहुत कम लोग जानते हैं कि ये पर्व क्यों मनाया जाता है व इसे मनाने के पीछे का महत्व क्या है। तो चलिए फिर देर किस बात की है जानते हैं इससे जुड़ी तमाम खास बातें- 
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सबसे पहले बता दें भगवान कार्तिकेय से जुड़े इस पर्व को स्कंद षष्ठी कहे जाने का मुख्य कारण है कि मां दुर्गा। जी हां, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी के 5वें स्वरूप स्कंदमाता को भगवान कार्तिकेय की माता के रूप में जाना जाता है। हिंदू धर्म के प्रमुख त्यौहारों में से एक नवरात्रि पर्व के 5 वें दिन स्कंदमाता का विधि विधान से पूजन किया जाता है। बता दें इस दिन को "चम्पा षष्ठी" के नाम से भी जाना जाता है इसका कारण है भगवान कार्तिकेय को सुब्रह्मण्यम के नाम से जानना, और इनके इस रूप को चम्पा पुष्प अधिक प्रिय है।अतः यही कारण इस दिन इस नाम से भी देश भर में जाना जाता है। दक्षिण भारत में यह त्योहार 6 दिनों तक मनाया जाता है। 
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तो वहीं इस दिन की महत्वता की बात करें तो इसके मनाए जाने को लेकर एक पौराणिक मान्यता है कि एक बार भगवान कार्तिकेय अपने माता-पिता और श्रीगणेश से नाराज होकर कैलाश पर्वत से मल्लिकार्जुन चले गए थे। जहां उस समय देवलोक में तारकासुर नामक राक्षस ने आतंक मचा रखा था, जिससे सभी देवता काफी परेशान थे। तब देवताओं ने भगवान मुरुगन से प्रार्थना की वे देवलोक की रक्षा करें। तब कार्तिकेय ने तारकासुर राक्षस का वध किया और उस दिन स्कंद षष्ठी थी।  भगवान कार्तिकेय के पराक्रम को देखकर उन्हें देवताओं का सेनापति बना दिया गया। 

कहा जाता है इस पर्व पर भगवान मुरुगन की आराधना से मान-सम्मान, शौर्य-यश और विजय की प्राप्ति होती है। तो वहीं इस दिन भगवान कार्तिकेय के माता-पिता शिव व देवी पार्वती की पूजा का भी विधान है।
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इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि षष्ठी तिथि मंगल ग्रह का स्वामी है और भगवान कार्तिकेय दक्षिण दिशा में निवास करते हैं। इसलिए कर्क राशि वालों को अपना मंगल मजबूत करने के लिए स्कंद षष्ठी का व्रत करना चाहिए। 

 

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