वास्तु से जानें, कहां बननी चाहिए प्रधानमंत्री की स्मार्ट सिटी

Edited By ,Updated: 05 Nov, 2016 11:20 AM

smart city

सारी दुनिया में स्मार्ट सिटी की कोई सर्वस्वीकृत परिभाषा भले न हो, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मादी के पास उसकी अपनी परिभाषा है, एक ऐसा शहर जो नागरिकों की जरुरतों से दो कदम आगे हो। नरेन्द्र मोदी ने

सारी दुनिया में स्मार्ट सिटी की कोई सर्वस्वीकृत परिभाषा भले न हो, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मादी के पास उसकी अपनी परिभाषा है, एक ऐसा शहर जो नागरिकों की जरुरतों से दो कदम आगे हो। नरेन्द्र मोदी ने अपने एक भाषण में कहा, पहले शहर नदियों के किनारे बसाए जाते थे। अब यह राजमार्गों के साथ-साथ बसाए जाएंगे लेकिन भविष्य में यह ऑप्टिकल फाइबर की मौजूदगी और अत्याधुनिक निर्माण तकनीक पर आधारित होंगे।


वास्तुशास्त्र के अनुसार किसी भी बस्ती का विकास उसकी भौगोलिक स्थिति के अनुसार स्वतः होता रहता है। इसलिए हर शहर अपनी भौगोलिक बनावट के कारण औद्योगिक, सांस्कृतिक, धार्मिक इत्यादि के रुप में प्रसिद्धि पाता है। आदि-अनादिकाल से मनुष्य ने रहने के लिए बस्ती वहीं बसाई जहां जीवित रहने के लिए पानी के स्रौत जैसे - नदी, तालाब, झील, झरना इत्यादि थे जैसा कि मोदी जी ने भी कहा। सामान्यतः दुनिया के सभी जल स्रोत बरसात के पानी से ही भरते हैं इसलिए इनके आस-पास के इलाके का ढलान इन स्त्रोत की ओर ही पाया जाता है। 


यही कारण है कि बस्तियों की जमीन का ढलान भी उसी दिशा में होता है जिस दिशा में पानी का स्त्रोत होता है। वास्तु सिद्धान्तों के आधार पर विश्लेषण करने पर पाया गया है कि जिन बस्तियों की ढलान उत्तर व पूर्व दिशा की ओर रही वह बस्तियां तेजी से विकसित हुई। इसके विपरीत वह बस्तियां जिनकी ढलान दक्षिण और पश्चिम दिशा में हैं, उनका विकास तुलनात्मक रुप से बहुत धीरे-धीरे और कम हुआ। वह बस्तियां जिनके पानी के स्त्रोत उत्तर या पूर्व दिशा में हैं और दक्षिण या पश्चिम दिशाओं में ऊंचाई या पहाड़ियां हैं वह बस्तियां प्रसिद्धि होने के साथ-साथ समृद्धशाली हुई, वहां वैभव आया। इसके उलट जिन बस्तियों में दक्षिण या पश्चिम दिशाओं में पानी का स्त्रोत है और पूर्व या उत्तर दिशा में ऊंचाई या पहाड़ियां हैं, उन बस्तियों का न तो उचित विकास हुआ और न ही आर्थिक उन्नति। इस कारण वहां गरीबी रही और तुलनात्मक रुप से अपराध भी ज्यादा पाए जाते हैं।


वर्तमान में भारत में कुछ ऐसे शहर है जो अपनी वास्तुनुकूल भौगोलिक स्थिति के कारण विभिन्न क्षेत्रों में विकसित हो गए हैं जैसे गांधीनगर, गुजरात के वैभव में पूर्व दिशा में बह रही नदी सहायक है। चंडीगढ़ के ईशान कोण में सुखना लेख होने के कारण यहां की जमीन का ढलान ईशान कोण की ओर है। गुजरात के सूरत में उत्तर एवं उत्तर ईशान में नदी बह रही है। पटना की उत्तर दिशा और ईशान कोण में गंगा नदी बह रही है। जयपुर के ईशान कोण में मानसागर झील जिसमें जल महल है और उत्तर दिशा में ताल-कटोरा तालाब है तथा पिंक सिटी की पूरी ढ़लान उत्तर दिशा की ओर है। आगरा की प्रसिद्धि एवं तरक्की में भी उत्तर दिशा में बह रही गंगा नदी का महत्त्वपूर्ण योगदान है। कानपुर की उत्तर और पूर्व दिशा में भी गंगा नदी बह रही है। पुणे की उत्तर दिशा एवं ईशान में कोण में भी नदी बह रही है। वाराणासी की पूर्व दिशा में गंगा नदी बह रही है। उज्जैन की पश्चिम दिशा में शिप्रा नदी होने के कारण यह धार्मिक नगरी के रुप में प्रसिद्ध है और साथ ही इसके ईशान कोण और पूर्व में भी बड़े-बड़े पानी के तालाब हैं। जिस कारण यहां शहर का समुचित विकास भी हो रहा है। राजकोट एक औद्योगिक नगरी है क्योंकि इसके उत्तर और पूर्व दिशा में पानी के बड़े-बड़े तालाब हैं। हर की पौढ़ी, हरिद्वार में भी ईशान कोण में पानी का जमाव है और पूर्व दिशा में गंगा नदी बह रही है। इसी के साथ पश्चिम दिशा में पहाड़ हैं। हर की पौढ़ी के पास दक्षिण दिशा से हर की पौढ़ी तक उत्तर दिशा की ओर ढ़लान है। चारों दिशाओं की वास्तुनुकूलताओं के कारण यह नगरी भारत की सबसे ज्यादा पवित्र नगरी मानी जाती है। 


मदुरै शहर की ढलान उत्तर दिशा की तरफ है क्योंकि मदुरै शहर की उत्तर दिशा में वैगई नदी पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर बह रही है। उत्तर दिशा स्थित वैगई नदी के कारण ही मदुरै शहर और शहर के अन्दर बना मीनाक्षी मंदिर सदियों से प्रसिद्ध है। बेंगलुरु की उत्तर दिशा, ईशान कोण और पूर्व दिशा में पानी के छोटे-बड़े कई सारे तालाब है। जिस कारण आज बेगलूरु नई मेट्रो सिटी का रूप लेता जा रहा है। बुरहानपुर प्राचीन नगरी होने के बाद भी दक्षिण दिशा में बहने वाली नदी के कारण इसका विकास तुलनात्मक रुप से बहुत कम हुआ है। मध्यप्रदेश का बहुत बड़ा रेलवे जंक्शन होने के बाद भी इटारसी की दक्षिण दिशा में बहने वाली नदी के कारण इसका विकास तुलनात्मक रुप से बहुत कम हुआ है। खण्डवा के भी दक्षिण दिशा में बहने वाली नदी के कारण इसका विकास बहुत कम हुआ है। प्राचीन नगरी नांदेड के भी दक्षिण दिशा में बहने वाली नदी के कारण इसका विकास तुलनात्मक रुप से बहुत कम हुआ है।


इसलिए आदरणीय प्रधानमन्त्री मोदी जी को चाहिए, कि 100 स्मार्ट सिटी विकसित करने की महत्वाकांक्षी परियोजना की सफलता के लिए केवल उन्हीं स्थानों का चयन करें जिनकी भौगोलिक स्थिति वास्तुनुकूल हो जिस स्मार्ट शहर की भौगोलिक स्थिति वास्तुनुकूल नहीं होगी उसको स्मार्ट सिटी बनाने के लिए सरकार चाहे कितने ही प्रयास कर ले वह सिटी स्मार्ट सिटी के मापदण्ड पर खरी नहीं उतर सकेगी यह तय है।

- वास्तु गुरू कुलदीप सलूजा 
thenebula2001@yahoo.co.in

 

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