Edited By Niyati Bhandari,Updated: 07 Jun, 2022 12:15 PM
‘‘आपके पास क्या है, आप कौन हैं, आप कहां हैं, आप क्या कर रहें हैं; ये बातें आपको खुश या दु:खी नहीं करतीं बल्कि इन सब चीजों के बारे में आप कैसा सोचते हैं, यह सोच ही निर्धारित करती है कि
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Smile please: ‘‘आपके पास क्या है, आप कौन हैं, आप कहां हैं, आप क्या कर रहें हैं; ये बातें आपको खुश या दु:खी नहीं करतीं बल्कि इन सब चीजों के बारे में आप कैसा सोचते हैं, यह सोच ही निर्धारित करती है कि आप खुश रहेंगे या दु:खी।’’ -डेल कार्नेगी
कहते हैं कि खुशी ऐसी चीज है जो हमारे जीवन में ऐसे दरवाजे से प्रवेश करती है जिसे हम अक्सर खुला रखना भूल जाते हैं। बात तो सही है क्योंकि वर्तमान में हर किसी को अपने जीवन में अनेकानेक बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है जिसके परिणामस्वरूप खुशी हमारे जीवन से अक्सर खो जाती हैं।
इस बात पर कई विचार-विमर्श व अनुसंधान हो चुके हैं किन्तु अब तक हम मनुष्य इस बात का हल ढूंढ नहीं पाए कि आखिर हमारी खुशी इतनी अनिश्चित क्यों हैं? अपने निजी अनुभवों को यदि हम गौर से देखेंगे तो यह प्रतीत होगा कि आमतौर पर अपनी इच्छाओं की पूर्ति न होने पर हम अपनी खुशी को तुरंत खो देते हैं।
यह हम सभी के साथ रोजाना कई बार होता है, मसलन यदि सुबह दूध वाला समय से दूध नहीं लाया तो हम बड़े विक्षुब्ध हो जाते हैं, यदि टिफिन वाला समय से टिफिन देने नहीं पहुंचा तब भी हमारे दिमाग का पारा ऊपर चढ़ जाता है। ऐसी अनेक छोटी-छोटी बातों के आधार पर हमारी खुशी एवं हमारे मन की अवस्था टिकी हुई है। रोज की इन्हीं खटपट से तंग आकर हम रोज हताश और दुखी होते रहते हैं।
सोचने की बात यह है कि जब अन्य पशु-पक्षी अपने जीवन में खुश रह सकते हैं तो फिर हम मानव जन्म लेकर भी क्यों खुश नहीं रह पाते !
इसका मूल कारण है हमारे अंदर प्रबल इच्छाशक्ति की कमी और जब तक अपने अतीत की अप्रिय घटनाओं को पकड़ कर न रखने की लत से हम छुटकारा नहीं पाएंगे तब तक हमारे जीवन से खुशी का दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं पड़ेगा क्योंकि जो हमारे हाथ में है-वह है हमारा वर्तमान और हमारा भविष्य इसलिए हमें सुखमय जीवन जीने के लिए आगे की ओर कुछ करना चाहिए परंतु अधिकांश लोग अतीत की अप्रिय घटनाओं को पकड़कर रखने की सबसे बड़ी भूल करते हैं।
याद रखें, जो लोग उस चीज की सराहना नहीं कर सकते जो उनके पास है, वे कभी खुश नहीं रह सकते इसलिए हमेशा भविष्य के बारे में सोचने की आदत डालें और साथ-साथ आपके पास वर्तमान में जो है, जितना है उसका लुत्फ उठाते हुए अपना जीवन मौज से जिएं, वही खुशी है।
—राजयोगी ब्रह्माकुमार निकुंज जी